झारखण्ड

नियोजन की मांग को लेकर विस्थापितों का आमरण अनशन, कुर्बान अंसारी गंभीर

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रामचंद्र कुमार अंजाना, बोकारो थर्मल
डीवीसी बोकारो थर्मल प्लांट मुख्य द्वार के समक्ष विस्थापित एवं स्थानीय समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले नियोजन की मांग को लेकर विस्थापित विस्थापितों का अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शनिवार को चौथे दिन भी जारी रहा। शुक्रवार की देर रात अनशनकारी कुर्बान अंसारी का हालत नाजुक हो गयी।

सूचना मिलते स्थानीय थाना प्रभारी परमेश्वर लेंयागी प्लांट गेट पहुंचे और आंदोलनकारियों से बात कर उसे इलाज के लिए डीवीसी अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां उसका हालत गंभीर बनी हुई। इसके बाद बेरमो विधायक योगेश्वर महतो बाटुल पहुंचे और आंदोलनकारियों से मिले। और बाद में अस्पताल में इलाजरत अनशनकर्मी से भी मिले और ढांढस दिये। इसके अलावे सीटू के राज्य सचिव कामरेड भागीरथ शर्मा व झामुमो बोकारो जिलाध्यक्ष सुरेंद्र राज आमरण स्थल पहुंचे । आमरण अनशन पर बैठे लोगों की स्थित के बारें में जानकारी ली। अपनी नैतिक समर्थन देते हुए उन्होंने कहा कि विस्थापितों की मांगे जायज है। प्रबंधन की वादाखिलाफी चिंताजनक है।

चार दिनों से तीन सूत्री मांगो को लेकर विस्थापित आमरण अनशन पर हैै। बावजूद प्रबंधन की ओर से कोई पहल नहीं करना कुछ और बंया करती है, जो विद्युत नगरी के लिए शुभ संकेत नहीं है।
विस्थापित नेता बालेश्वर यादव ने कहा कि प्रबंधन के इस तरह का रवैया र्दुभाग्यपूर्ण। प्रबंधन की वादा खिलाफी का हमलोग निंदा करते है। इनकी मांगे जायज है हम सब इनके साथ हैं।
क्या है मामला- विस्थापित वर्ष 1991 में गिरीडीह के तत्कालीन सांसद स्व-बिनोद बिहारी महतो साथ हुए समझौते को लागू करने की मांग हैै। समझौते के तहत कहा गया है कि 48 दिनों के अंदर विस्थापितों को नौकरी देने पर सहमति बनी थी। 17 सितंबर 2015 को कलकत्ता में चेयरमैन एवं एचआर प्रभात किरण तथा विस्थापितों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता में डीवीसी अधिकारियों ने आदेश जारी किया था जिसमें 85 विस्थापित मजदूरों को तत्काल नौकरी पर बहाल किए जाने की बात हुई थी। बोकारो थर्मल के अंतर्गत सभी विस्थापित गांवों में 50-50 बेरोजगार युवाओं को एएमसी तथा एआरसी कार्यों में प्लांट के अंदर नियोजन पर सहमति बनी थी। लेकिन आज तक स्थानीय प्रबंधन की और से पहल नहीं किया गया। सिर्फ आश्वासन मिलता रहा। जिसके कारण बाध्य होकर विस्थपित अनिश्चितकालीन आमरण अनशन आंदोलन में उतर गये।

इसके बावजूद भी प्रबंधन कुछ नहीं करता है, तो सामुहिक रूप से विस्थापित आत्मदाह करने की घोषणा भी किए है। इस आंदोलन में धीरे-धीरे स्थानीय राजनेताओं व आमलोगों की सहानुभूति बढ़ रहीं है। आंदोलन में लोग अपना-अपना समर्थन दे रहें हैं। विस्थापित नेता दिनेश्वर मंडल, करीमुद्दीन अंसारी, पंचायत समिति सदस्य नागेश्वर महतो, उप मुखिया भरत महतो, मुखिया प्रतिनिधि महबूब आलम, तिलक महतो, सुल्तान अंसारी, सुनील साव, जितेंद्र यादव सहित दर्जनों विस्थापित मजदूर इस आंदोलन में सकिय है।

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