बिहार

उत्क्रमित मध्य विद्यालय पारबखारी में भगवान भरोसे तैयार हो रहा देश का भविष्य

Share now

बदहाल शिक्षा : चलो गांव की ओर – 1 

अमित कुमार यादव, समस्तीपुर
बिहार सरकार के शिक्षा व्यवस्था में सुधार के दावों की पोल समस्तीपुर जिले में स्थित पारबखारी उत्क्रमित मध्य विद्यालय खोल रहा है| जर्जर स्कूल भवन में पहली से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं चलाई जा रही हैं लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए मात्र 5 शिक्षक ही तैनात हैं| अब एक ही वक्त में यह पांच टीचर आज पीरियड किस तरह अटेंड कर रहे हैं इसका अंदाजा आप ही लगाया जा सकता है| उसमें भी अगर एक टीचर छुट्टी पर चला जाए तो हालात और भी बदतर हो जाते हैं| वहीं, दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को भी यह विद्यालय मुंह चिढ़ा रहा है| यहां लड़कों और लड़कियों के लिए एकमात्र शौचालय है जिसमें स्कूल के लगभग 304 विद्यार्थी शौच के लिए जाते हैं| इनमें 184 लड़कियां भी शामिल हैं. ऐसा नहीं है कि स्कूल में और शौचालय नहीं बनाए गए| शौचालय तो बनाए गए लेकिन वह सभी खराब पड़े हैं| विद्यालय के प्रधानाध्यापक इंद्रदेव की मानें तो उन्होंने इस संबंध में कई बार आला अधिकारियों को अवगत भी कराया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई| इतना ही नहीं स्कूल में गंदगी का आलम है लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है.
वहीं, बात अगर खेल की करें तो विद्यालय इस मामले में भी सबसे फिसड्डी है| एक तरफ जहां देश भर में खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, छोटे-छोटे स्कूलों के बच्चे भी राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभाएं दिखाकर पुरस्कार जीत रहे हैं, वहीं उमवि Power खारी के बच्चों को खेल सामग्री के नाम पर कुछ भी मुहैया नहीं कराया गया है| अब बिना हथियार के जंग की तैयारी कैसे होगी| ऐसे में पारबखारी स्कूल की प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं| वहीं, शिक्षा विभाग के स्कूल चलें हम के दावों की भी पोल खोल रही है| बच्चों का सर्वांगीण विकास तो दूर यहां एक अंग का भी विकास नहीं हो पा रहा है| आने वाला समय प्रतिस्पर्धा का है| निजी स्कूल जहां अपने विद्यार्थियों को तरह-तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं वहीं उनके सर्वांगीण विकास पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है| ऐसे में सरकारी स्कूल के यह बच्चे उन निजी स्कूलों के बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा में कहां खड़े होंगे इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है| स्कूल में एक पुस्तकालय तो है लेकिन वह भी नाम मात्र का ही है| बच्चों के बौद्धिक विकास संबंधी विशेषज्ञों की पुस्तकें इस पुस्तकालय में मौजूद नहीं है| ऐसे में बच्चों का सर्वांगीण विकास कैसे हो सकता है|
हैरानी की बात तो यह है कि चुनावी सभाओं में बड़े बड़े दावे करने वाले विधायक, सांसद और अन्य जनप्रतिनिधि भी इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे| नतीजतन गांव का भविष्य पिछड़े सरकारी स्कूलों की भेंट चढ़ता जा रहा है|

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *