रामचंद्र कुमार अंजाना, बोकारो थर्मल
एक ऐसा गांव जहां पुलिस को पहुंचने के थर-थर कांपती थी। जब भी वहां पुलिस पहुंचती थी, तो साथ पुरी बेरमो अनुमंडल की पुलिस साथ में होती थी। यहां पर नक्सलियों के बीज उगाए जाते थे। जोनल कमांडर निरंजन मांझी का घर यही है। 2007 में हजारीबाग के तिलैया-दुमूहान जंगल में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। हम बात कर रहें है बोकारो जिले के उग्रवाद प्रभावित ऊपरघाट के पेंक-नारायणपुर थाना क्षेत्र के गोड़गोड़वा गांव का। बुधवार को कोयलांचल के डीआईजी प्रभात कुमार, सीआरपीएफ के कमांडेट अखिलेश शर्मा व बोकारो के प्रभारी एसपी निधि द्विवेदी पहुंची तो यहां के आदिवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं था।
ग्रामीणों ने माओवादियों की डर को पीछे छोड़कर पुलिस का स्वागत किया और खुलकर अपनी पीड़ा को रखें। पुलिस के वरीय अधिकारियों ने ग्रामीणों के समक्ष माना कि गोड़गोड़वा में अब भी पुलिस-प्रशासन के द्वारा कुछ करना बाकी है। डीआईजी व एसपी ने जोनल कमांडर निरंजन मांझी की पत्नि देवंती देवी सहित इनके बच्चों से बातचीत की।
इस दौरान जोनल कमांडर निरंजन मांझी की पत्नि देवंती देवी की दर्द आंखों से छलक गयी और अपनी आंसू को रोक नहीं पायी। डीआईजी प्रभात कुमार ने कहा कि अब इस क्षेत्र में भटके हुए युवा मुख्य धारा में लौट रहे है। नक्सलियों को यहां सिर छिपाने की जगह नहीं मिल रही है। उग्रवाद व अपराध नियंत्रण के लिए आम जनता को पुलिस का सहयोग करना होगा। क्षेत्र में अमन चैन और शांति व्यवस्था कायम रहें, इस दिशा में पुलिस निरंतर काम कर रहीं है।
गोड़गोड़वा के ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस पहली बार यहां हमारी समस्याओं की निदान के लिए पहुंची और अपने परिवार के जैसा अपनापन जतायी। पुलिस यहां जब आती थी, तब यहां भगदड़ सा मच जाता था। डर से लोग घर छोड़कर जंगल में शरण ले लेते थे। अब समय बदल गया है। पुलिस भी हमारी तरह इंसानी सोच रखते है। बस अब नये सिरे से अगली पीढी की नींव बेहतर ढंग से संवारने में लगे हैं।