पंजाब

नगर निगम की लिस्ट से मेयर राजा की पार्षद पत्नी का नंबर गायब, पार्षद भी चले राजा की राह पर

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम जालंधर अक्सर अपने अनोखे कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहता है. इस बार मामला मेयर जगदीश राज राजा की पत्नी अनीता राजा से जुड़ा हुआ है| महिला आरक्षण की आड़ में किस तरह से पुरुषवादी सोच अपना दबदबा कायम करने की कोशिश में जुटी रहती है इसका उदाहरण मेयर जगदीश राज राजा के रूप में देखा जा सकता है| कैप्टन सरकार ने महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें आरक्षण की लाठी तो थमा दी लेकिन पुरुषवादी मानसिकता की वीडियो से अभी उन्हें आजाद नहीं करा पाई है| चुनावी दरिया पार कर महिलाएं नगर निगम की सीढ़ियां तो चढ़ गईं लेकिन सत्ता अभी पुरुष ही चला रहे हैं| पार्षद तो दूर मेयर तक नहीं चाहते कि उनकी पत्नी समाज सेवा का हिस्सा बने| ऐसा ही मामला उस समय सामने आया जब जालंधर के मेयर जगदीश राज राजा की पत्नी का मोबाइल नंबर ढूंढने के लिए नगर निगम की वेबसाइट सर्च की गई| वेबसाइट पर राजा ने अपनी पत्नी का मोबाइल नंबर तक नहीं दिया है| पत्नी के मोबाइल नंबर के स्थान पर मेयर जगदीश राज राजा ने अपना मोबाइल नंबर 9888069029 ही दर्ज कराया हुआ है|


बता दें कि मेयर जगदीश राज राजा वार्ड नंबर 48 से पार्षद हैं और उनकी पत्नी वार्ड नंबर 49 की पार्षद हैं| नगर निगम जालंधर की वेबसाइट खोलने पर जब इलाका पार्षदों के मोबाइल नंबर और घर के पते की लिस्ट पर क्लिक करते हैं तो जो सूची खुलती है उसमें मेयर जगदीश राज राजा का मोबाइल नंबर 98880 69029 लिखा हुआ है| अगली ही लाइन में उनकी पत्नी का नाम व घर का पता लिखा हुआ है| दिलचस्प बात यह है कि उनकी पत्नी अनीता राजा के मोबाइल नंबर की जगह नियर जगदीश राज राजा का ही मोबाइल नंबर उल्लिखित किया गया है| ऐसे में वार्ड नंबर 49 की जनता को अगर अपने पार्षद से संपर्क करना हो तो उन्हें पहले मेयर राजा से बात करनी पड़ेगी| इतना ही नहीं पत्नी से पूछे गए सवालों का जवाब भी राजा ही देते हैं| राजा भले ही सार्वजनिक मंच पर महिला सशक्तिकरण की बात करते नहीं थकते हों लेकिन हकीकत में वह अपने घर की महिलाओं के सशक्तिकरण को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे और अपनी पत्नी का मोबाइल नंबर तक वेबसाइट में डालने को तैयार नहीं हैं. पत्नी का मोबाइल नंबर जनता से छुपाने वाले वाला शायद यह भूल गए हैं कि उनकी पत्नी अनीता राजा अब सिर्फ उनकी पत्नी ही नहीं हैं बल्कि एक जनप्रतिनिधि भी हैं. उन पर एक पूरे वार्ड की जिम्मेदारी भी है. अगर राजा नहीं चाहते कि उनकी पत्नी समाज सेवा के कार्य करें या अपने वार्ड की जनता का सुख दुःख जानें तो फिर उन्हें पत्नी को चुनाव में उतारना ही नहीं चाहिए था. पत्नी का नंबर जनता से छुपाकर राजा न सिर्फ वार्ड के लोगों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं बल्कि कैप्टन सरकार की उस मुहिम को भी पलीता लगा रहे हैं जिसका उद्देश्य महिलाओं को आरक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाना था. कैप्टन सरकार ने महिलाओं को आरक्षण इसलिए दिया था ताकि वह भी समाज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ सकें न कि इसलिए कि महिलाओं को आगे कर खुद सत्ता सुख भोग सकें.
अब जबकि मेयर राजा इस राह पर चल पड़े हैं तो फिर पार्षद प्रजा इसमें कैसे पीछे रह सकती है| राजा की तर्ज पर कई पार्षद भी ऐसे हैं जिन्होंने पत्नी की जगह अपना मोबाइल नंबर नगर निगम की वेबसाइट पर दर्ज कराया है| फोन की घंटी बजाते ही परिषद की बजाय उनका फोन उनके पति उठाते हैं| इसमें सबसे पहला नाम राजा के करीबी पारिषदों में शुमार परमजीत सिंह पम्मा का है| कहने को तो पम्मा की पत्नी रीना कौर पार्षद हैं लेकिन नगर निगम की वेबसाइट पर मोबाइल नंबर पम्मा का ही दर्ज है| वहीं, वार्ड नंबर 35 के पार्षद का भी यही हाल है| यहां जनता ने तो गीता रानी को परिषद चुनकर नगर निगम की सीढ़ियां चढ़ाई लेकिन वेबसाइट पर जो नंबर उपलब्ध है वह गीता रानी के पति आरके निहंग का है| अगला उदाहरण बस स्टैंड के पास ग्लासी रेस्टोरेंट चलाने वाले मनमोहन सिंह का है| चुनाव तो मनमोहन सिंह की पत्नी ने लड़ा था लेकिन मोबाइल नंबर मनमोहन सिंह का ही वेबसाइट पर दर्ज किया गया है| मनमोहन सिंह कांग्रेस से पार्षद हैं| ऐसा ही कुछ कांग्रेस पार्षद नीरजा जैन के साथ भी है|
बहरहाल, कैप्टन सरकार की महिला आरक्षण के जरिये महिलाओं के सशक्तिकरण की मुहिम को मेयर व कांग्रेस पार्षद ही चूना लगा रहे हैं तो आम जनता का इस पर क्या असर पड़ेगा इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है| मेयर और पार्षदों का हाल देखकर तो यही लगता है कि फिलहाल हमारे शहर की महिलाओं को सशक्त होने में कुछ सदियां और लगेंगी|

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