जालंधर : आज जालंधर नार्थ विधानसभा क्षेत्र के खिगरा गेट में कपूर हैल्पिंग हैंड्स संस्था की तरफ से लोगो को प्लास्टिक बैग को लेकर जागरूक किया गया । इस कायर्क्रम की अध्यक्षता प्रधान मनु कपूर ने की । इस कायर्क्रम में मुख्य अतिथि के रूप में युवा राष्ट्र निर्माण वाहिनी संस्था के अध्यक्ष एंव युवा नेता सुशील तिवारी शामिल हुए ।
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इस मौके पर तिवारी ने दुकानदारों को जागरूक करते हुऐ कहा की हम सभी को एक जूट होने होगा तभी प्लास्टिक बैग बंद हो सकते है और पर्यवऔर पृथ्वी पर सभी देशों में प्लास्टिक का इस्तेमाल इतना बढ़ चुका है कि वर्तमान में प्लास्टिक के रूप में निकलने वाला कचरा विश्व पर्यावरण विद्वानों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। विकसित देश अक्सर भारत जैसे विकासशील या अन्य विभिन्न अविकसित देशों में इस तरह का कचरा भेज देते हैं। अथवा ऐसे कचरे को जमीन में भी दबा दिया जाता है। जमीन में दबा यह कचरा पानी के स्त्रोतों को प्रदूषित कर हमारे जीवन के लिए बड़े खतरे के रूप में सामने आता है। प्लास्टिक की चीजें, जितनी भी आप सोच सकते हैं, अक्सर ही पानी के स्त्रोतों में बहुत ज्यादा मात्रा में पड़ी मिलती हैं।प्लास्टिक नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल होता है। नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल ऐसे पदार्थ होते हैं जो बैक्टीरिया के द्वारा ऐसी अवस्था में नहीं पहुंच पाते जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। कचरे की रिसायकलिंग बेहद जरूरी है क्योंकि प्लास्टिक की एक छोटी सी पोलिथिन को भी पूरी तरह से छोटे पार्टिकल्स में तब्दील होने में हजारों सालों का समय लगता है और इतने ही साल लगते हैं प्लास्टिक की एक छोटी सी पोलिथिन को गायब होने में । इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष मनु कपूर ने कहा प्लास्टिक बैग्स बहुत से जहरीले केमिकल्स से मिलकर बनते हैं जिनसे स्वास्थ्य और पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचती है। प्लास्टिक बैग्स बनाने में जायलेन, इथिलेन ऑक्साइड और बेंजेन जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल होता है। इन केमिकल्स से बहुत सी बीमारियां और विभिन्न प्रकार के डिसॉडर्स हो जाते हैं। प्लास्टिक के केमिकल पर्यावरण के लिए भी बेहद हानिकारक होते हैं जिससे इंसान, जानवरों, पौधों और सभी जीवित चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक को जलाने और फेंकने पर जहरीले केमिकल्स का उत्सर्जन होता है। कुछ विकसित देशों में प्लास्टिक के रूप में निकला कचरा फेंकने के लिए खास केन जगह जगह रखी जाती हैं। इन केन में नॉन-बॉयोडिग्रेडेबल कचरा ही डाला जाता है। असलियत में छोटे से छोटा प्लास्टिक भले ही वह चॉकलेट का कवर ही क्यों न हो बहुत सावधानी से फेंका जाना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक को फेंकना और जलाना दोनों ही समान रूप से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक जलाने पर भारी मात्रा में केमिकल उत्सर्जन होता है जो सांस लेने पर शरीर में प्रवेश कर श्वसन प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसे जमीन में फेंका जाए या गाड़ दिया जाए या पानी में फेंक दिया जाए, इसके हानिकारक प्रभाव कम नहीं होते । इस मौके पर शिवम चौहान , अखिल ,भरत , जतिन , नवजोत गब्बा, संयम ,तारकेश ,पाला ,सबु , रजत ,टिंकू , अमित ,हरमन ,शिवम ,राघव , कृष्णा , मिलान , केशव , दुर्गेश , समीर , वंश , बावा , मोहित आदि थे।