नीरज सिसौदिया, जालंधर
स्ट्रे डॉग प्रोजेक्ट पर मेयर जगदीश राज राजा गंदी राजनीति न करें. आवारा कुत्ते पकड़ने के लिए हमने गाड़ी उनके पैसों से नहीं खरीदी थी बल्कि हमारी रजिस्टर्ड सोसाइटी को मिली सरकारी ग्रांट से खरीदी है. राजा को मैंने पहले भी कहा था कि अगर गाड़ी चाहिये तो हम देने को तैयार हैं लेकिन पहले कानून के अनुसार निगम हाउस की बैठक में मता पास करें और रिक्वेस्ट लेटर भेजें. राजा गंदी राजनीति से बाज आयें और काम करें हम पूरा सहयोग करेंगे. ये बातें पूर्व डिप्टी मेयर अरविंदर कौर ओबरॉय के पति व पूर्व पार्षद कुलदीप सिंह ओबरॉय ने कहीं.
बता दें कि ओबरॉय से गाड़ी वापस लेने के लिये आज कुछ पार्षदों ने डीसी वरिंदर कुमार शर्मा से मुलाकात की है.
ओबरॉय ने कहा कि मुझसे गैर कानूनी तरीके से प्रोजेक्ट वापस लिया गया है. कानूनी तौर पर जंग कंपाउंड की लीज भी हमारी सोसाइटी स्ट्रे डॉग एंड ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी के नाम पर है. नियम के अनुसार जब लीज कैंसिल करने से 60 दिन पहले नोटिस दिया जाता है लेकिन हमें ऐसा कोई नोटिस नहीं दिया गया और न ही हाउस में लीज कैंसिल करने संबंधी कोई मता पास किया गया. इस संबंध में मैंने कोर्ट में भी केस दायर किया हुआ है.
जिस तरह से पूर्व मेयर सुनील ज्योति ने कुत्तों के प्रोजेक्ट पर कुत्ती राजनीति की अब राजा भी उसी राजनीति का हिस्सा न बनें. ओबरॉय ने कहा कि मेरी राजा से इस संबंध में बात भी हुई थी. मैं उनके घर पर जाकर उनसे मिला था. तब उन्होंने मुझसे वादा किया था कि वह कानूनी तरीके से रिक्वेस्ट लेटर भेजेंगे लेकिन अब गंदी राजनीति पर उतारू हो रहे हैं. ओबरॉय ने कहा कि मेरे पास राजा से बातचीत की पूरी रिकार्डिंग है. वह चाहें तो मैं ऱिकॉर्डिंग सबके सामने पेश कर सकता हूं.
ऱिकॉर्डिंग में राजा खुद स्वीकार कर रहे हैं कि मेयर सुनील ज्योति ने गैरकानूनी तरीके से डॉग प्रोजेक्ट ओबरॉय से वापस लिया. उस वक्त राजा खुद ओबरॉय के समर्थन में उतरे थे लेकिन मेयर बनते ही राजा सारे कायदे कानून भूल गये और ओछी राजनीति पर उतर आए हैं.
ओबरॉय का बढ़ता कद रास नहीं आया सियासतदानों को
स्ट्रे डॉग प्रोजेक्ट पर आज भले ही घमासान मचा हो लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब कोई इस प्रोजेक्ट में हाथ लगाने को भी तैयार नहीं था. उस वक्त ओबरॉय ने इसका जिम्मा उठाया और सोसाइटी बनाकर काम शुरू किया. ऐन वक्त पर ज्योति ने ओबरॉय की उम्मीदों का दिया बुझा दिया और यह प्रोजेक्ट राजनीति की भेंट चढ़ गया. अगर यह प्रोजेक्ट ओबरॉय शुरू कर देते तो जालंधर के इतिहास में ओबरॉय का नाम अमर हो जाता. अपनी तरह का यह जालंधर में पहला और अनोखा प्रोजेक्ट है. यही वजह थी कि ओबरॉय का बढ़ता कद न ही सुनील ज्योति को भाया और न ही कभी इसी प्रोजेक्ट पर ओबरॉय का समर्थन करने वाले मेयर जगदीश राज राजा को ऱास आ रहा है. ओबरॉय कहते हैं कि मुझे अदालत पर पूरा भरोसा है. इंसाफ में देर हो सकती है लेकिन इंसाफ जरूर मिलेगा.
आधा सामान लौटाया, आधा क्यों हड़प लिया राजा जी
स्ट्रे डॉग प्रोजेक्ट को लेकर ओबरॉय ने सारी तैयारियां पूरी कर ली थीं. डॉग कंपाउंड में उन्होंने अपने पैसों से खरीदी गई अलमारी, वर्दियां, होर्डिंग्स, डस्ट बिन, कंप्यूटर टेबल, ड्रेसेज, उपकरण, दवाएं, स्टेरिलाइजेशन का सामान, कुर्सियां, क्रॉकरीज, वाटर कूलर, स्टेशनरी समेत अन्य कीमती सामान खरीदकर रखा था. लेकिन आज निगम की ओर से सिर्फ एक अलमारी, दो लकड़ी की टेबल, एक रिवोल्विंग कुर्सी, लोहे की बेंच, कंप्यूटर टेबल, डॉग पकड़ने का शिकंजा ही वापस किया गया. बाकी सामान कब दिया जाएगा और क्यों नहीं दिया गया इस बारे में कोई भी जानकारी राजा की ओर से नहीं दी गई. पहले भी बिना अनुमति के गैरकानूनी तरीके से डॉग कंपाउंड के तीन बार ताले तोड़े गये जबकि वहां पर ओबरॉय की सोसाइटी का सारा सामान रखा हुआ था.
दरअसल, राजा अपना समय शहर के विकास की जगह ओछी राजनीति में गंवाने में लगे हैं जिस कारण पूरे शहर का बेड़ा गर्क हो रहा है.