नीरज सिसौदिया, चंडीगढ़
कांग्रेस विधायक संतोख सिंह भलाई पुर के दावों की हवा पंचायत चुनाव में पूरी तरह से निकल गई है| डंडे के बल पर पंचायत चुनाव जीतने का दावा करने वाले विधायक उस पंचायत में भी बहुमत हासिल नहीं कर पाए जहां उनका मुख्यालय था| विधायक ने गांव में कार्यालय तो बना लिया लेकिन जनता तक पहुंच बनाने में कामयाब नहीं हो सके| यही वजह है कि इलाके में 9 पंचायत मेंबरों में से मात्र 3 पंचायत मेंबर ही कांग्रेस पार्टी के समर्थित बन सके हैं| हालांकि पार्टी ने जहां अपने निशान पर कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा था लेकिन अन आधिकारिक तौर पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी यहां से चुनाव हार गए| मात्र 3 मेंबर ही इज्जत बचाने में कामयाब हो पाए| पंचायत चुनाव के परिणाम आने के बाद विधायक की कार्यशैली पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं|
बता दें कि विधानसभा क्षेत्र बाबा बकाला साहिब से कांग्रेस के संतोख सिंह विधायक हैं| कुछ समय पहले विधायक का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह यह दावा करते नजर आ रहे थे कि पंचायत चुनाव तो मैं डंडे के बल पर जीत लूंगा| विधायक के दावों का गुब्बारा उस समय फूट पड़ा 30 दिसंबर को चुनावी नतीजे सामने आए और उनके समर्थित प्रत्याशी औंधे मुंह गिर पड़े| यहां पर हम बात कर रहे हैं गांव चीमा बाठ की जहां पर विधायक ने अपना मुख्य कार्यालय भी बनाया हुआ है। अब सवाल यह उठता है कि जब एक पंचायत पर ही विधायक का दबदबा कायम नहीं रह सका है तो आने वाले विधानसभा चुनाव में क्या हाल होगा| विधानसभा चुनाव तो फिर भी दूर हैं लोकसभा चुनाव जो सिर पर खड़े हैं उस में कांग्रेस का क्या हाल होगा इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है| इस तरह के विधायकों के भरोसे प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं राहुल गांधी| ऐसे में राहुल गांधी के सपनों का क्या होगा यह खुद बखुद समझा जा सकता है। इस पंचायत में सरपंच कांग्रेस का ही बना है लेकिन वह निर्विरोध चुना गया है| निर्विरोध भी इस तरह से कि उनके विपक्ष में खड़े हुए तीनों उम्मीदवारों के नामांकन पत्र ही रद्द कर दिए गए| इनमें से एक नेता माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण में जा पहुंचा है| बहरहाल कांग्रेस विधायकों के चुनाव पूर्व दावे पार्टी को शर्मसार कर रहे हैं| साथ ही राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के अरमानों पर भी पानी फेरते नजर आ रहे हैं| अब देखना यह है कि ऐसे उल जलूल बयानबाजी करने वाले नेताओं के खिलाफ पार्टी हाईकमान कोई कार्रवाई करता है या फिर उन्हें खुली छूट देता है ताकि वह अपनी गलतियां दोहरा सके और कांग्रेस को इसका खामियाजा आने वाले लोकसभा चुनाव में उठाना पड़े|
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