पंजाब

ध्येय यात्रा के तहत लाल बादशाह के दरबार पहुंचे एबीवीपी के प्रांत संगठन मंत्री, गद्दीनशीन पद्मश्री हंसराज हंस को बताई गौरव गाथा, हंस ने पुस्तक बुक कराई, आप भी कराएं

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नीरज सिसौदिया, बरेली
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ऐतिहासिक जीवनगाथा को पुस्तकों के माध्यम से दो खंडों में संजोया गया है। इसके तहत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से देशभर में ध्येय यात्रा (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ऐतिहासिक जीवनगाथा) को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पंजाब प्रांत के संगठन मंत्री राहुल शर्मा अपनी टीम के सदस्यों के साथ रविवार को जालंधर जिले के नकोदर स्थित सूफी संत लाल बादशाह के दरबार पहुंचे और वहां गद्दीनशीन पद्मश्री सांसद हंसराज हंस से मुलाकात की। उन्होंने हंसराज हंस को ध्येय यात्रा के उद्देश्य और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की उपलब्धियों के बारे में बताते बताया। हंसराज हंस ने ध्येय यात्रा नाम से प्रकाशित पुस्तक का अग्रिम पंजीयन कराया। उन्होंने इस पहल की सराहना की और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को छात्र हित की दिशा में कार्यरत अग्रणी संगठन बताया। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जिस प्रकार से कार्य कर रहा है उससे अन्य छात्र संगठनों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री आदित्य तकियार ने ध्येय यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहा कि वर्ष 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ तो राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की दिशा में विशेष कार्य करने की आवश्यकता महसूस हुई। इसी के अनुरूप विद्यार्थी एवं युवा वर्ग की शक्ति को पुनर्निर्माण के कार्य में लगाने के लिए जून 1948 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना की गई और 9 जुलाई वर्ष 1949 को यह संगठन विधिवत अस्तित्व में आया। तब से लेकर अब तक कार्यकर्ताओं की अनेक पीढ़ियों ने अपने स्वेद बिंदुओं से इसे सींचा और रचनात्मक आंदोलन एवं गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अपनी गहरी छाप छोड़ी है। परिणाम स्वरूप आज 39सौ से भी अधिक इकाइयों तथा 2331 संपर्क स्थानों सहित 21 हजार से भी अधिक शैक्षिक परिसरों में लगभग 34 लाख से भी अधिक कार्यकर्ताओं के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन बन चुका है।

आदित्य तकीयार

विगत लगभग 7 दशकों की साधना में तैयार हुआ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रों का एक ऐसा संगठन है जो निरंतर युवा पीढ़ी को देश के प्रति जागृत एवं प्रेरित करता रहा है। संगठन में अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं जिनकी कहानियां इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं। अपने ध्येय पथ की ओर बढ़ते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने एक प्रवाहमान जनसंख्या का स्थाई संगठन खड़ा किया है। साथ ही अपनी विशिष्ट कार्य पद्धति व संकल्पना के कारण यह संगठन राष्ट्रीय निर्माण एवं परिवर्तन का वाहक बना है। छात्र शक्ति को वास्तविक रूप में राष्ट्र शक्ति के तौर पर मान्यता दिलाने में समाज का जो विश्वास अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्राप्त किया है उसकी हमेशा ही सराहना होती रही है। विगत 7 दशकों में राष्ट्रीय अस्मिता, राष्ट्रीय सुरक्षा, परिवर्तन सहित अनेक विषयों पर परिषद के पराक्रम को देश और दुनिया ने देखा है। नई पीढ़ी के सामने वे पराक्रम एवं उपलब्धियां अपने मूल रूप में उल्लिखित हो सकें, इसके लिए इनका संकलन तथा प्रकाशन किया जा रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की संपूर्ण यात्रा को एक साथ प्रस्तुत करना संभव नहीं है, इसलिये उल्लेखनीय कार्यों तथा विचारों को प्रस्तुत करने के उद्देश्य से आगामी अप्रैल माह में ध्येय यात्रा (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जीवन गाथा) शीर्षक से दो खंडों में पुस्तक का प्रकाशन किया जाएगा। लगभग 800 से भी अधिक पृष्ठों में समाहित दोनों खंडों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रमुख लक्षण और उसकी पूर्ति के लिए की गई रचनात्मक गतिविधियों, साहसिक प्रयासों, विविध आयामों, बलिदानों, संगठन के स्वरूप और विकास क्रम इत्यादि का तथ्यपरक विवरण देंगे। यह पुस्तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व, वर्तमान तथा भविष्य के कार्यकर्ताओं के लिए उपयोगी साबित होगी। साथ ही छात्र संगठनों के लिए भी दिग्दर्शिका बन सकेगी।
दो खंडों में प्रकाशित पुस्तक के प्रथम खंड में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के स्थापना की पृष्ठभूमि से लेकर इसके वैचारिक अधिष्ठान, संगठन के स्वरूप, दिशा एवं प्रयासों पर चर्चा की गई है। साथ ही राष्ट्रहित में किए गए साहसिक प्रयास एवं शिक्षा क्षेत्र में छात्र हित में किए गए प्रयासों का भी उल्लेख किया गया है। वहीं छात्र नेतृत्व, इसके वैश्विक स्वरूप, आयाम, प्रस्ताव, अभियान, महत्त्व इत्यादि को द्वितीय खंड में प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक हार्ड कवर एवं पेपर बैक दोनों ही संस्करणों में अग्रिम पंजीयन हेतु उपलब्ध है। खंड 1 एवं 2 के पेपर बैग का मूल्य ₹699 एवं खंड 1 एवं दो हार्ड कवर का मूल्य ₹999 रखा गया है।

कैसे करें अग्रिम पंजीयन
इस पुस्तक के लिए ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से अग्रिम पंजीयन द्वारा अपनी प्रति आरक्षित कराई जा सकती है। ऑफलाइन पंजीयन हेतु पंजीयन फार्म को भरकर अभाविप के प्रतिनिधि या कार्यकर्ताओं के पास जमा कर सकते हैं। ऑफलाइन पंजीयन के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पक्ष में पुस्तक की कुल राशि का नगद या चेक या डिमांड ड्राफ्ट संलग्न करना होगा। किसी भी बैंक से जारी ड्राफ्ट स्वीकार्य है। चेक या डिमांड ड्राफ्ट के पीछे अपना नाम एवं मोबाइल नंबर अवश्य लिखें। रसीद सुरक्षित रखें।पंजीकृत की गई पुस्तक प्रांत केंद्र से प्राप्त की जा सकेगी। ऑनलाइन माध्यम से पंजीयन कराने हेतु www.abvp.org/book पर लॉग इन कर सकते हैं। अग्रिम पंजीयन निरस्त करने पर धनराशि वापस नहीं होगी।

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