बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार ‘अंजाना‘
लोक आस्था व विश्वास के सनातनी पंरपरा के अराध्य देवी-देवताओं का एक साथ प्रकृतिक रूप से ऊपरघाट स्थित कंजकिरो के पारटांड पहाडी के चट्टानों में उभरना। इसे देखकर कोई भी श्रद्वालू आश्चर्यकित रह जाते है। आस्था व विश्वास के सफर में यहां मकर संक्राति के अवसर पर हर साल तीन दिवसीय मेला का आयोजन की पंरपरा विकसित हुई है। भारतीय पर्व त्योहार में मकर संक्रांति ही एक ऐसा त्योहार है जो न सिर्फ धर्म बल्कि विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है। खगोली दृष्टिकोण से सूर्य का मकर राशि मे संक्रमण का काल होने के कारण यह किसी न किसी रूप में ओर विभिन्न नामों से पूरे देश मे मनाया जाता है। यही कारण है कि कृषि प्रधान इस देश मे मकर संक्रांति सबसे बड़े ऋतु पर्व में सूर्य का प्रचलित है।
हेमंत ऋतु में सूर्य का उत्तरायण होना मकर संक्रांति से आरंभ होता है। जिसे हमारे धार्मिक ग्रंथों में बहुत ही शुभ माना गया है। इस नाते इस पर्व को लोक परंपराओं के कारण मकर संक्रांति में नदियों, तालाबों के संगम में स्नान-दान और तिल का दान करना पूण्य प्रदान करने वाला बताया गया है। पारटांड पहाडी के ऊपरी हिस्से के चट्टानों में शिवलिंग, नंदी महराज, शेषनाग, माता रानी व चरण पादुका सहित कई देवी-देवताओं के प्राकृतिक कलाकृति चार साल पूर्व एक चरवाहा ने देखा और समझा। देवभूमि की पहली जानकारी चारवाहों के माध्यम से जब 85 वर्षीय संत जटाधारी बाबा को हुई, तो उन्होंने स्वंय पारटांड पहाडी जाकर चट्टानों पर प्राकृतिक कलाकृति के गर्व से उत्पन्न देवी-देवताओं के संजीव आकृति देखकर अचंभित रह गए। उन्हें ऐसा भान हुआ कि यह भूमि कलांतर में ऋषि-मुनियों का तप भूमि रहा होगा। इसलिए यहां मकर संक्राति के अवसर पर समस्त ईष्ट देवी-देवताओं की पूजा-अरिधान की बुनियाद डाली।
आज चार वर्ष ही गुजरे है कि इसकी गुंज दूर-दूर तक फैल चुकी है। इस वर्ष भी यहां भव्य मेला की तैयारी शुरू हो चुकी है।
मेला संचालन के लिए बनी कमेटी
अध्यक्ष सुखदेव मुनि जी, संचाालक रीतलाल महतो, सचिव उदय अग्रवाल, उप सचिव महेंद्र महतो, कोषाध्यक्ष सुरेश कुमार पटेल सहित समिति के सदस्य राजु राय, श्यामसुंदर सिंह, बंटी भाई, बिरजू सिंह, राजेश सिंह, प्रदीप कुमार पटेल, अजय कुमार पटेल, बासूदेव महतो, अमृत प्रतापति, पंकज प्रजापति, चमन प्रजापति, उमेश प्रजापति, बिरेंद्र प्रजापति, सुबोध प्रजापति, दिलीप महतो, रोशनलाल तुरी, बहादुर तुरी, रामकिसुन महतो को बनाया गया।