नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर सियासी घमासान अंतिम पड़ाव पर आ गया है. वर्तमान दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी का पत्ता इस बार साफ होता नजर आ रहा है. वहीं, अध्यक्ष की दौड़ में फिलहाल दिल्ली भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री पवन शर्मा सबसे आगे चल रहे हैं.
दरअसल, पवन शर्मा संघ के करीबी माने जाते हैं और उन्हें दिल्ली में संगठन के चुनावों का प्रभारी भी बनाया गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि अबकी बार पवन शर्मा को दिल्ली भाजपा की कमान भी सौंपी जा सकती है.
दरअसल, नवंबर माह में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है. मनोज तिवारी की नजदीकियां अमित शाह से होने के चलते उन्हें पहले दिल्ली भाजपा का जिम्मा सौंपा गया था. इस बार भी मनाेज तिवारी इस दौड़ में शामिल हैं.
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सूत्र बताते हैं कि वह भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों से लेकर संघ के अधिकारियों तक से लॉबिंग करने में जुटे हैं लेकिन पवन शर्मा उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन गए हैं. सूत्र बताते हैं कि पवन शर्मा को दिल्ली भाजपा और संघ के बीच समन्वय का काम देख रहे संगठन मंत्री सिद्धार्थन का वरदहस्त प्राप्त है. सिद्धार्थन पवन को दिल्ली के सिंहासन पर बैठाना चाहते हैं लेकिन मनोज तिवारी इस सिंहासन को छोड़ने को तैयार नहीं. यही वजह है कि मनोज तिवारी अंदरखाते पूरा जोर लगा रहे हैं.
वहीं, सूत्र यह भी बताते हैं कि पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष हर्षवर्धन भी अपने ऐसे साथी को अध्यक्ष पद पर बिठाना चाहते हैं जो कि आगामी विधानसभा चुनावों में टिकट के बंटवारे में उनकी हां में हां मिला सके.
बहरहाल, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष को लेकर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस सियासी खेल में ऊंट किस करवट बैठता है यह देखना दिलचस्प होगा. हालांकि, वर्तमान सियासी समीकरण पवन शर्मा की ताजपोशी की ओर इशारा कर रहे हैं. अगर एक बार फिर शाह मेहरबान हुए और संघ का विश्वास जीतने में मनोज तिवारी कामयाब हुए तो शायद उन्हें दोबारा दिल्ली का राजपाट मिल सकता है. हालांकि, इस लड़ाई में भाजपा कोई तीसरा चेहरा लाकर सबको चौंकाने का काम भी कर सकती है.
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