बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार अंजाना
नावाडीह प्रखंड के गोनियाटो पंचायत के परसाबेड़ा में दिशोम बाहा पर्व सरहूल पुजा महोत्सव धूमधाम से मनायी गयी। सरहूल महोत्सव में सुबे के शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो मुख्य रुप से शामिल हुए और मांदर की थाप में जमकर थिरके। नायके नंदलाल टुडू, कार्तिक मराण्डी ने विधि विधान से प्रकृति की पुजा संपन्न करायी। सरना पुजा में आदिवासी समुदाय के सैकड़ो महिला-पुरूष शामिल हुए और अपने पारंपरिक लोकनित्य पर झूमें थिरके और प्रकृति पर्व सरना का आनंद उठाये।
महोत्सव को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा सरहूल पूजा आदिवासी एवं मूलवासियों का पवित्र पर्व है इसमें पेड़ पौधों का पूजा किया है इनकी रक्षा करना हमारा प्रथम धर्म है। यह त्योहार हमें पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देता है। पर्यावरण के साथ मानव ही नहीं समस्त प्राणियों का सीधा संबंध है। कहा कि सरहुल को आदिवासियों द्वारा प्राकृतिक पर्व के रूप में मनाया जाता है। जिसे उरांव भाषा में खद्दी तथा मुंडा व संथाल भाषा में बाहा और हिन्दी में सरहुल के नाम से जाना जाता है। आदिवासी समाज शुरू से ही प्रकृति के उपासक रहे हैं। उनका मानना है कि मानव का जन्म प्रकृति की गोद में होने के कारण प्रकृति ने हर आपदा व विपदा में आदिवासियों की रक्षा की है। आदिवासी समुदाय के भाई एवं बहनों ने मिलकर हर्षोल्लास के साथ प्रकृति की पूजा करते हुए पारम्परिक नृत्य की प्रस्तुति किया।
इस दौरान खद्दी मनदाय होले काला हो नायगस सीन मेना की बारा का गायन किया गया। जबकि होमरार का भैया चाला टॉका केकर नीन भैया के गीत पर आदिवासी महिलाओं ने भाई-बहन के रिश्तों को अटूट बताते हुए सरहुल का उत्सव मनाया। सरना स्थल पर पूजा संपन्न होने के बाद ढोल नगाड़े बजाकर पहान को अपने घर ले गये। कहा कि सभी लोग शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान देकर पढाने लिखाने काम करें। 15 अप्रैल तक सभी विद्यालय में पुस्तक उपलब्ध हो जाएगा। जिप सदस्य टिकैत कुमार महतो ने कहा कि प्रकृति का पर्व सरहूल है, इसे संयोजने के लिए आदिवासी समाज की अहम भूमिका निभा रहीं है। इस मौके पर विधायक टेकलाल चैधरी, मुखिया योगेंद्र कुमार रंजन, समाजसेवी खिरोधर महतो, झामुमो किसान मोरचा के उपाध्यक्ष गंगाराम महतो, गणेश सोरेन, समाजसेवी करमचंद सोरेन, समीर मुर्मूू, बाबुलाल सोरेन, सोनाराम मरांडी, राजेश मरांडी, दशरथ मुर्मू, विरसा सोरेन सहित कई लोग उपस्थित थे।