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अब सोने के जेवर गिरवी रखने पर मिलेगा 90 फीसदी कर्ज, पढ़ें रिजर्व बैंक के नए फैसले 

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मुंबई, एजेंसी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को मौद्रिक समीक्षा बैठक की। इसमें कोरोना काल में महंगाई पर अंकुश लगाने और आम आदमी को राहत दिलाने की कवायद देखने को मिली। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया लेकिन केंद्रीय बैंक ने आर्थिक विकासपरक अपना समायोजी रुख बरकरार रखने का फैसला किया। आरबीआई ने रेपो रेट चार फीसदी पर स्थिर रखा और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी में भी कोई फेरबदल नहीं किया।
रेपो रेट ब्याज की वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि ऋण देता है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों से अल्पावधि की उधारी लेता है। रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट ये दोनों केंद्रीय बैंक के ऐसे उपकरण हैं जिनके माध्यम से तरलता और महंगाई पर नियंत्रण करने में सहूलियत मिलती है।
आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में मौद्रिक नीति सीमति (एमपीसी) ने मौजूदा रेपो रेट चार फीसदी को बरकरार रखने पर सहमति जताई। एमपीसी के समायोजी रुख बरकरार रखने की सहमति जताने से आने वाले दिनों में रेपो रेट में और कटौती की संभावना बनी हुई है। इसी प्रकार मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) रेट और बैंक रेट भी पूर्ववत 4.25 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘एमपीसी ने घरेलू व वैश्विक हालात की पड़ताल पर देश और दुनिया पर इनके प्रभावों का मूल्यांकन किया।’ उन्होंने कहा कि विचार-विमर्श के बाद एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीतिगत प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट को चार फीसदी पर स्थिर रखने के पक्ष में सहमति जताई। साथ ही आर्थिक विकास में सुधार लाने, कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए जब तक आवश्यक हो समायोजी रुख बरकरार रखने का फैसला लिया, बशर्ते महंगाई दर लक्ष्य के भीतर बनी रहे।
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोने के जेवरों पर उनके मूल्य के 90 प्रतिशत तक ऋण देने की वाणिज्यिक बैंकों को अनुमति प्रदान कर दी है। हालांकि यह अस्थायी छूट है जो अगले साल 31 मार्च तक के लिए दी गई है। केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद जारी विकास एवं नियामक नीति संबंधी बयान में कहा है, ‘आम गृहस्थों, नए उद्यमियों और छोटे कारोबारियों पर कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से सोने के गहनों के बदले दिये जाने वाले गैर-कृषि ऋण की सीमा मौजूदा 75 प्रतिशत से बढ़ाकर मूल्य का 90 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। आरबीआई ने इसके लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि 01 अप्रैल 2021 से सोने के आभूषणों पर दिए जाने जाने वाले नए ऋण की सीमा फिर उसके मूल्य के 75 प्रतिशत के बराबर रह जाएगी।
बता दें कि जून में खुदरा महंगाई दर 6.09 फीसदी रही। आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई दर चार फीसदी लक्ष्य के ऊपरी सीमा तक पहुंच गई। महंगाई दर का लक्ष्य दो फीसदी कमी या वृद्धि के साथ चार फीसदी रखा गया है।
नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं : रिजर्व बैंक
कोरोना वायरस कोविड-19′ महामारी के बीच रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दरों को यथावत रखने का निर्णय लेते हुए गुरुवार को कहा कि महंगाई को लक्षित दायरे में रखने और इस महामारी के प्रभाव से अर्थव्यवस्था के उबरने तक उसका रुख एकोमोडेटिव बना रहेगा। चालू वित्त वर्ष में समिति की तीन दिवसीय दूसरी बैठक के समाप्त होने के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि रेपो दर को चार प्रतिशत, रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत, बैंक दर को 4.25 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) को 4.25 प्रतिशत पर यथावत रखा गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार के संकेत मिल रहे थे लेकिन इस महामारी से प्रभावितों की संख्या में हो रही तेज वृद्धि के कारण कुछ राज्यों और बड़े शहरों में फिर से लॉकडाउन लगाये जाने के कारण संकेतक फिर से शिथिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में महंगाई बढ़ने की आशंका है लेकिन दूसरी छमाही में इसमें नरमी आ सकती है।
आरबीआई की घोषणाओं के बाद शेयर बाजार में तेजी
आरबीआई की घोषणाओं का शेयर बाजार ने झूमकर स्वागत किया। वैसे बाजार में सुबह से ही तेजी थी और सेंसेक्स 200 अंक से अधिक की बढ़त बनाये हुए था लेकिन दास के बयान के बाद सेंसेक्स 550 अंक और निफ्टी 150 अंक चढ़ गया।
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को राहत
उन्होंने कहा कि हाउसिंग क्षेत्र और छोटे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों तथा माइक्रो फाइनेंस संस्थानों के तनाव को कम करने के उद्देश्य से 10 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त विशेष तरलता की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस राशि में से पांच हजार करोड़ रुपये राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) को और पांच हजार करोड़ रुपये नाबार्ड को दिए जाएंगे।
अर्थव्यवस्था में सुधार की नहीं उम्मीद
दास ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही और पूरे वित्त वर्ष में भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर ऋणात्मक रहने का अनुमान है। समिति का मानना है कि चालू वर्ष की पहली छमाही में वैश्विक आर्थिक गतिविधियां उतार-चढ़ाव का सामना करती रहेंगी। दुनिया की कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में जुलाई में फिर से कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी आने से सुधार के संकेत धूमिल होने लगे हैं। हालांकि वैश्विक वित्तीय बाजार में तेजी देखी जा रही है।

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