बोकारो थर्मल। कुमार अभिनंदन
कभी बिहार, झारखंड और छतीसगढ़ पुलिस के लिए सरदर्द बना माओवादी चिराग उर्फ प्रमोद की तलाश अभी भी की जा रही है। दरअसल उसकी मौत हुए 5साल गुजर गई है, लेकिन इसके बावजूद भी चाईबासा पुलिस उसकी तलाश कर रही है। रविवार को बेरमो अनुमंडल के पैक-नारायणुपर थाना की पुलिस चाईबासा कांड संख्या 38/2011 में चिराग के घर जाकर उसकी खोजबीन की। जब मृतक चिराग के परिजनों ने कहा कि उसकी मौत के 5 साल हो गए, तब पुलिस बैरंग वापस लौट आई। इस संबंध में पैक-नारायणुपर थाना के पुलिस ने बताया कि चाईबासा जिला के गुदड़ी थाना में कांड संख्या 38/2011में वह वारंटी है। उस केस के तमिला के लिए उसकी तलाश में गए थे। उन्होंने बताया कि जब चिराग के परिजनों ने बताया कि उसकी मौत हुए 5 साल गुजर गए तब वें वापस लौट गए।
मुठभेड़ में मारा गया था चिराग
बिहार के जमुई जिला अंतर्गत चकाई के खिजुरवा पहाड़ पर दिसंबर 2015 में पुलिस के साथ मुठभेड़ हो गई थी दोनों ओर से सैकड़ों गोली चलने के बाद चिराग मारा गया था। बिहार और झारखंड के करीब 23 थाना की पुलिस उसकी लाश को सौंपने के लिए उसके घर पहुंची थी। आसपास के इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गई थी। लेकिन आज भी चाईबासा पुलिस एक मामलें में उसकी तलाश कर रही है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है। चूंकि गुदड़ी थाना क्षेत्र में वर्ष 2011 में पुलिस और माओवादी के साथ मुड़भेड़ हुई थी, जिसमें एक पुलिस कर्मी शहीद हो गया था। उसी समय चार माओवादी गिरफ्तार किया गया था, जिसमें चिराग का नाम सामने आया था। यह बात दीगर है कि उसकी मौत हो चुकी है लेकिन झारखंड के कई थानों में आज भी वह जिंदा वांटेड है। रविवार को गुदड़ी थाना के एक मामले पेंक-नारायणुपर पुलिस के पुअनि उज्जवल कुमार, सअनि हरीशचंद्र तिर्की सहित दल-बल के साथ माओवादी चिराग उर्फ प्रमोद के घर पहुंचे और वस्तुस्थिति की खुलासा हुआ। इस मामले में मुठभेंड मामलें के अनुसंधानक पीएसआई आशिष कुमार गौतम ने बताया कि 11 साल से नक्सली प्रमोद उर्फ चिराग की तलाश की जा रहीं है। आज स्पष्ट हुआ कि वह मुठभेड़ में मारा गया है।
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