झारखण्ड

लॉकडाउन में ऊपरघाट में पुलिस का दिखा था मानवीय चेहरा

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बोकारो थर्मल। कुमार अभिनंदन
कोरोना वायरस के संक्रमण चक्र को तोड़ने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन में पुलिस की भुमिका सराहनीय थी। कभी डंडा दिखाकर तो कभी भूखों को खाना खिलाकर पुलिस ने अपने मानवीय पहलू को समाज के बीच रखा। पुलिस का यह चेहरा पुलिस इतिहास में एक अजूबा से कम नहीं था। एक ओर पांव पसारता कोरोना तो दूसरी ओर लोगों की मुश्किलों के बीच तारतम्य बनाने का अनोखा प्रयास आज भी लोगों के जेहन में है। ऊपरघाट पुलिस ने भय व दहशत के माहौल में कई ऐसे कार्य किए, जिन्हें लोग आज भी याद कर पुलिस को सम्मान की नजर से देखते है। कई महीनों तक चली सामुदायिक किचन इसका एक बड़ा उदाहरण है, जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को भोजन करवाया जाता था। यही नहीं, लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के अलावे भूले-भटके मानसिक रोगियों को उनके घर तक पहुंचाने की मुहिम एक चुनौती थी, जिसे पुलिस ने बेहतर तरीके से निभाया। ऊपरघाट थाना क्षेत्र में पुलिस की देखरेख में एक माह से अधिक समय तक सामुदायिक किचन का आयोजन हुआ। पेंक-नारायणपुर थाना में दो वक्त का खाना वैसे लोगों को बकायदा बिठा कर खिलाया जाता था, जिनकी रोजी-रोटी लॉकडाउन के कारण प्रभावित हो गयी थी। यह़ी आलम बोकारो थर्मल और नावाडीह थाना का था, जहां रौबदार मूंछवाले पुलिसकर्मी जरूरतमदों को बड़े प्यार से भोजन परोस कर खिलाते थे।
चार घंटे भी सो नहीं पाते थे पुलिसकर्मी
लॉकडाउन में पुलिस ना सिर्फ सरकारी गाइडलाइन का पालन करवाने में व्यस्त थी, बल्कि जरूरतमदों की मदद करना, भोजन करवाना, बाजार हाट की व्यवस्था को बनाए रखना, मरीज मिलने पर उन्हें कोविड़ सेंटर भिजवाने के साथ उस पूरे मोहल्ले पर नजर रखना भी उनकी ड्यूटी का एक हिस्सा बना हुआ था। ऐसे में चाहे वे थाना के पदाधिकारी हो या फिर सिपाही, हर किसी को बामुश्किल 3 से 4 घंटे की नींद ही मिल पाती थी। पुलिसकर्मियों के लिए यह अवधि बहुत ही चुनौतीपूर्ण था, जिसका उन्होंने डट कर सामना किया।
खुद ही खाना परोसते थे पीएसआई सुमन, ऊज्जवल व धन्नजय
कोरोना का संक्रमण जब सिर चढ़कर बोल रहा था रहा था, तभी पेंक-नारायणपुर थाना के पीएसआई सुमन कुमार, ऊज्जवल पांडेय ओर धनंजय कुमार रोज कमा कर खाने वालों के लिए धन राशन जुटा रहें थे। वे जानते थे कि खाली पेट कोई जंग नहीं लड सकता और ना ही सरकारी गाइड लाइन का पालन करेगा। इसलिए उन्होंने बोकारो एसपी सुजाता बीणा पानी और चंदन कुमार झा के निर्देश पर संचालित सामुदायिक किचन को और डेवलप कर रोज कमा कर खाने वालों का पेट भरा। चुंकि ऊपरघाट के पचास फीसदी लोग प्रवासी मजदूर है। इसलिए हर दिन सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर दूसरे प्रदेशों से पैदल और साइकिल से यात्रा कर वापस लौंट रहें मजदूरों के लिए पेंक-नारायणपुर थाना के तीनों पीएसआई सुमन कुमार, उज्जवल पांडेय और धनंजय कुमार किसी संजीवनी से कम साबित नहीं हो रहें थे। मजदूरों को भर पेट भोजन करवाने के साथ उन्हें घर तक भेजने की व्यवस्था भी करते थे।


थानेदार कार्तिक महतो बने थे आवाम के हीरो
संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान पेंक-नारायणपुर थाना के थानेदार कार्तिक कुमार महतो की इमेज आम-आवाम के बीच रियल हीरो वाली थी। कार्तिक ने इस दौरान कई ऐसे कार्य किए, जिसे आज भी लोग याद करते है। इसमें एक कार्य ऐसा था, जब उन्होने तेलंगाना से भटककर एक मानसिक रूप से बिमार युवक ऊपरघाट के डेगागढ़ा गांव पहुंच गया था। जिसकी सूचना थानेदार कार्तिक महतो को मिली, तो रात लगभग डेढ़ बजे उग्रवादियों के गढ़ माने जाने वाले गांव डेगागढ़ा पहुंचे और मानसिक रूप से बिमार युवक को अपने कब्जे में लेकर सप्ताह भर रखकर इलाज भी करवाया और उनके परिजनों को ढूंढ कर तेलंगाना भी पहुचाएं।
कार्तिक महतो जानते थे कि इस हालात से सिर्फ पुलिस नहीं निपट सकती है। इसलिए ऊपरघाट के घर गांव-मोहल्ला में दिन रात फ्लैग मार्च कर जागरूकता अभियान चलाया । इसका लोगों पर जबरदस्त असर देखा गया। आलम यह था कि पुलिस जिस किसी मोहल्ले से होकर गुजरती थी, लोग फुल बरसा कर उनका स्वागत करते थे। पेंक-नारायणपुर थाना से कार्तिक कुमार महतो की ट्रांसफर पर क्षेत्र की जनता की आंखों पर आंसू छलक गए। बीमार हो जाने कारण उनकी यहां से बदली हो गयी थी। वर्तमान में चास थाना में पोस्टेड है.

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