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कोरोना जांच और वैक्सीनेशन कैंप लगवाते हैं, पार्क की सफाई और खराब लाइटों व नलों की मरम्मत भी करवाते हैं, इनके जैसे पार्षद कम ही नजर आते हैं…

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नीरज सिसौदिया, बरेली
एक तरफ कोरोना से जंग और दूसरी तरफ जनसमस्याओं से युद्ध, कम ही पार्षद होते हैं जो इस दोहरी जिम्मेदारी को बाखूबी निभा पाते हैं. खासतौर पर जब पार्षद की उम्र 55 के पार हो तो दिनभर भागदौड़ करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जहां आम तौर पर नेताओं का कामकाज उनके सुपुत्र या भाई-भतीजे संभालते हैं, वहीं बरेली का एक पार्षद ऐसा भी है जो यह सारी जिम्मेदारी खुद अपने दम पर निभा रहा है. उसके बच्चे उनके कामकाज से ही नहीं राजनीति से भी कोसों दूर हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं वार्ड नंबर 23 के भाजपा पार्षद सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा की. मम्मा ने इस लॉकडाउन के दौरान सेवा की जो मिसाल पेश की है वह बरेली का कोई भी पार्षद पेश नहीं कर पाया. ऐसा नहीं है कि अन्य पार्षदों ने सेवा नहीं की लेकिन मम्मा उस दौड़ में सबसे आगे निकल गए.


दरअसल, मम्मा ने कोरोना की पहली लहर से ही जो कोरोना जांच शिविर शुरू किया उसे पूरे एक साल तक बरकरार रखा. हाल ही में उन्होंने कोरोना वैक्सीनेशन कैंप भी शुरू करवाया जो अब विधायक अरुण कुमार के कार्यालय पर लगाया जा रहा है. सैनेटाइजेशन कराना तो आम बात है. सराहनीय पहलू यह है कि इस दौरान मम्मा के पास खराब स्ट्रीट लाइटों, खराब नलों, पार्क की सफाई आदि की समस्याएं भी आती रहीं और मम्मा ने हर समस्या का मौके पर मौजूद होकर निदान कराया.


पिछले दिनों ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी पार्क में माली और लेबर द्वारा कटिंग और सफाई कराई गई जिसमें उनके साथ पंजाबी महासभा के अध्यक्ष संजय आनंद भी दिनभर मौजूद रहे। स्थानीय लोगों ने उनका आभार भी जताया.
इसी तरह हाल ही में वार्ड 23 इंदिरानगर बाल वाटिका में खराब लाइटों को बदलवाया. साथ ही पार्क का सौंदर्यीकरण भी करवाया. इतना ही नहीं इंदिरा नगर राजेंद्र नगर में नल खराब हो गया था उसे भी सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा ने अपनी मौजूदगी में ठीक कराया.
मम्मा की यही सक्रियता उनकी लोकप्रियता में इजाफा कर रही है. कोरोना काल में अपनी जान की परवाह न करते हुए जिस तरह से मम्मा ने सेवा कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई है वह न सिर्फ काबिले तारीफ है बल्कि अन्य सियासतदानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी है. खासतौर पर उन पार्षदों और नेताओं के लिए जो कोरोना के डर से घरों में दुबके रहे.

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