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साइकिल पर सवार हुआ दमदार, अब दौड़ेगी साइकिल, बढ़ेगी रफ्तार

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नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी की साइकिल अब तेज रफ्तार से दौड़ती नजर आ रही है. ब्रह्मस्वरूप सागर और इंजीनियर अनीस अहमद के साइकिल पर सवार होने के बाद बरेली के पत्रकारिता जगत की दमदार शख्सियतों में शुमार उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष व व्यापारी नेता डा. पवन सक्सेना ने भी साइकिल का हैंडल थाम लिया है. पवन सक्सेना की एंट्री से समाजवादी पार्टी को बरेली के साथ ही आसपास के इलाकों में भी मजबूती मिलेगी क्योंकि पवन सक्सेना इन इलाकों में भी मजबूत पकड़ रखते हैं. लगभग ढाई दशक से भी अधिक समय तक देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में सक्रिय पत्रकारिता के माध्यम से मंडल भर में अपनी अलग पहचान बनाने वाले डा. पवन सक्सेना ने व्यापार जगत में भी काफी नाम कमाया. जमीनी स्तर पर पत्रकारिता के माध्यम से आम आदमी के हित की लड़ाई लड़ने वाले पवन सक्सेना पहली बार किसी राजनीतिक दल में विधिवत रूप से शामिल हुए हैं. इससे पहले वह कई राजनेताओं, मंत्रियों और विधायकों के मित्र जरूर रहे पर उन्होंने आधिकारिक तौर पर कभी कोई पार्टी ज्वाइन नहीं की. पवन सक्सेना को आज सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे पार्टी के जिला अध्यक्ष अगम मौर्या, महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी, चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डा. अनीस बेग सहित अन्य पदाधिकारियों की मौजूदगी में पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल कराया गया. बता दें कि कुछ दिन पहले पवन सक्सेना की लखनऊ में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात हुई थी. उसी दौरान वह पार्टी में शामिल हो गए थे. आज एक समारोह का आयोजन कर उन्हें औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता दी गई.
पवन सक्सेना ने भले ही आज ही पार्टी ज्वाइन की हो मगर उनके शामिल होते ही शहर और कैंट विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट के दावेदारों में खलबली मच गई है. ऐसा होना भी लाजिमी है क्योंकि पवन सक्सेना वह चेहरा हैं जिसे कैंट और शहर दोनों ही विधानसभा सीटों से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. शहर सीट से पवन सक्सेना ज्यादा मजबूत इसलिए भी लगता है क्योंकि यह कायस्थ बाहुल्य सीट है और पवन सक्सेना भी इसी बिरादरी से आते हैं. वह कायस्थ वोट काटने में सक्षम भी हैं. अगर मुस्लिम और कायस्थ समीकरण बैठ जाए तो समाजवादी पार्टी यह सीट आसानी से निकाल सकती है. अब तक सपा के पास इस सीट पर कोई बड़ा या दमदार कायस्थ चेहरा नहीं था लेकिन अब पवन सक्सेना के आने से यह कमी भी पूरी हो गई. हालांकि, खुद चुनाव लड़ने से ज्यादा पवन सक्सेना पार्टी की जीत को लेकर इंट्रस्टेड नजर आते हैं. कहते हैं, “मैं अभी-अभी पार्टी में शामिल हुआ हूं. मैं टिकट की रेस का हिस्सा नहीं हूं लेकिन अगर पार्टी हाईकमान मुझे आदेश देगा तो मैं चुनाव जरूर लड़ूंगा और पार्टी को जीत दिलाने का भरसस प्रयास करूंगा. अगर पार्टी मुझे टिकट नहीं देती है तो जिस किसी भी कार्यकर्ता को टिकट मिलेगा उसकी तन मन धन से पूरी मदद करेंगे और सीट जीतकर अखिलेश जी की झोली में डालेंगे. मेरा मकसद चुनाव लड़ना नहीं सरकार बनाना है.
बता दें कि अब तक शहर विधानसभा सभा सीट से हिन्दू चेहरों में सपा के पूर्व जिला महासचिव एवं जिला सहकारी संघ के पूर्व चेयरमैन महेश पांडेय और नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष राजेश अग्रवाल ही बड़ा चेहरा थे. हालांकि दोनों में से कोई भी कायस्थ बिरादरी से ताल्लुक़ नहीं रखता. इनमें महेश पांडेय ने फिलहाल टिकट के लिए आवेदन नहीं किया है. उनका कहना है कि अगर पार्टी उन्हें आदेश देगी तभी वह चुनाव लड़ेंगे.

महेश पांडेय, पूर्व महासचिव सपा
राजेश अग्रवाल

वहीं,मुस्लिम दावेदारों में चार बार के पार्षद अब्दुल कयूम मुन्ना और मो. कलीमुद्दीन का ही नाम प्रबल दावेदारों में लिया जा रहा था.

अब्दुल कय्यूम मुन्ना
मो. कलीमुद्दीन

इसी तरह कैंट विधानसभा सीट से इंजीनियर अनीस अहमद और डा. अनीस बेग ही प्रबल दावेदारों में शामिल हैं. वहीं, दावेदारों की कतार में नसीम अख्तर, मो. फिरदौस उर्फ अंजुम भाई, डा. शाहजेब हसन आदि का नाम भी शामिल है.

इंजीनियर अनीस अहमद
डा. अनीस बेग
मो. फिरदौस उर्फ अंजुम भाई
डा. नसीम अख्तर
डा. शाहजेब हसन

बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी पवन सक्सेना का लाभ पार्टी हित में किस प्रकार लेती है.

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