गिर कर चट्टानों से पानी
और तेज होता है।
वही जीतता जो उम्मीदों
से लबरेज होता है।।
गुजर कर संघर्षों से व्यक्ति
और है मजबूत बनता।
भागता और तेज जब नीचे
कांटों का सेज होता है।।
दीपक के तले सदा अंधेरा
ही रहता है।
पर खुद जलकर उससे रोशन
सबेरा बहता है।।
मुश्किलों में ही आदमी को
अपनी होती पहचान।
सफलता का हर चेहरा यही
बात कहता है।।
मुसीबतों में ही उलझ कर
शख्सियत निखरती है।
गलत हो सोच तो जिंदगी
फिर बिखरती है।।
जैसी नज़र रखते नज़रिया
वैसा जाता है बन।
आशा और विश्वास से ही हर
तकलीफ गिरती है।।
जीवन का सफल आचरण
अलग होता है।
तकलीफ़ का अपना आवरण
अलग होता है।।
संघर्ष की भट्टी में तपकर सोना
बनता है कुंदन।
कामयाबी का यही व्याकरण
अलग होता है।।
रचयिता – एसके कपूर “श्री हंस”