विचार

पूर्वी लद्दाख में चीन ने अब पीछे खींचे अपने कदम

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निर्भय सक्सेना 

भारतीय सेना ने बयान में कहा- तनातनी के बाद भी एलएसी की यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं आया — निर्भय सक्सेना — अब नए भारत की सर्वत्र बढ़ती ताकत का अंदाजा चीन को भी होने लगा है। यही कारण है कि अपनी कुटिल चालबाजी से भारत को घेरने में अब उसकी कोई चाल भी सफल नही हो पा रही है और वह अब हर मोर्चे पर मुंह की खा रहा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अगस्त माह की अध्य् क्षता की कमान भी संभाल ली जिससे भी चीन चिढ़ गया था। सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के तौर पर भारत का 2 वर्ष का कार्यकाल 1 जनवरी 2021को शुरू हुआ था इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के दलाई लामा को बधाई देने पर भी चीन नाराज हुआ पर भारत ने इसकी भी परवाह नहीँ की थी। स्मरण रहे पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले एरिया को लेकर मालडो में 12वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद अब चीन के तेवर भी कुछ ढीले हुए हैं। असल मे चीन के रुख में यह परिवर्तन दुशाम्बे में 14 जुलाई 2021 को भारत – चीन के विदेश मंत्रियो की बैठक के बाद आया था। अब चीन ने पूर्वी लद्दाख में पेंगोंग के बाद गोगरा के पास के पेट्रोलिंग पॉइंट पीपी 17-ए से अपने अस्थायी ढांचे एवम संचार लाइन को गिरा भी दिया है और चीन की सेना पूर्व की स्थिति में यानी 5 मई 2020 वाले स्थान पर ही पीछे 4 एवम 5 अगस्त 2021 को पहुँच गई हैं। अब यह एरिया बफर जोन रहेगा। यानी दोनों देशों की सेना अब यहां पहले की तरह गश्त नहीं कर पाएंगी। सेना की और से 6 अगस्त 2021 को जारी बयान में कहा गया है कि सहमति के अनुसार भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल ए सी) का पूरा सम्मान करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के अनुसार देपसांग, हॉट स्प्रिंग और गोगरा के बचे इलाके से सेना के पीछे हटने के लिए वार्ता का दौर जारी रहेगा ऐसा कहा गया है। सेना की और से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया कि दोनों सेनाओं की तनातनी के कारण एल ए सी की यथास्थिति में कोई भी बदलाव नही आया है। भारतीय सेना और भारत तिब्बत सीमा पुलिस पूर्वी लद्दाख में सीमा पर देश की संप्रभुता और शांति बनाए रखने को चौकस होकर प्रतिबद्ध है। भारत की बढ़ती ताकत के बाद चीन अपने यहां बाढ़, कोरोना संक्रमण, बुहान में कोरोना वायरस की उत्पत्ति आदि कई मोर्चों पर घिरने के बाद कुछ परेशान भी है। पर उसके तेवर में बदलाव कम ही नजर आ रहा है। वह अपनी विस्तारवादी नीति को छोड़ना नहीं चाहता। और अब उसने तिब्बत में चीनी विरोध को कुचलने और भारत के खिलाफ आक्रामक रुख रखने के लिए जाने जाने वाले सैन्य कमांडर वांग हैजियांग को अपने अशांत शिनजियांग राज्य का नया सैन्य कमांडर बना दिया है जिससे उसकी कुटिल नीयत का पता चलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ता से भारत भी सीमा की सुरक्षा के लिए आजकल वॉर्डर एरिया में सीमा तक सड़को का जाल, पहाड़ी नदियों पर पुल, टनल बनाने के साथ राफेल एवम एंटी मिसायल के साथ अपनी सैन्य क्षमता निरंतर बढ़ा रहा है। देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक 40 हजार टन बजन क्षमता वाले पोत विक्रांत का समुंद्री परीक्षण भी अब शुरू हो गया। इस विक्रांत पोत के अगले साल भारतीय नोसेना में शामिल होने की आशा है। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में 23 हजार करोड़ रुपए की लागत से बना यह विक्रांत पोत 262 मीटर लंबा एवम 62 मीटर चौड़ा है। इस पोत पर 30 लड़ाकू विमान खड़े हो सकते हैं। इसके साथ ही भारत अत्याधुनिक विमान बाहक पोत बनाने वाले देशों की सूची में भी शामिल हो गया है।

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