समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है. हिन्दू और मुस्लिम सीटों के बंटवारे को लेकर दावेदारों की जमीनी हकीकत और जनता का मूड भांपने के लिए पार्टी नेता प्रदेश भर का दौरा कर रहे हैं. मुस्लिम सीटों को लेकर समाजवादी अल्पसंख्यक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना यासीन उस्मानी विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं. इसी कड़ी में वह बुधवार को बरेली के दौरे पर थे. पिछले कुछ समय से चर्चा हो रही थी कि समाजवादी पार्टी इस बार ज्यादा से ज्यादा सीटों पर हिन्दू उम्मीदवार मैदान में उतारेगी और मुस्लिमों की सीटें कम होंगी. क्या वाकई मुस्लिमों की सीटें कटने जा रही हैं? बरेली जिले में इस बार समाजवादी पार्टी कितनी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारेगी? क्या मुस्लिमों की सीटें बदली भी जा सकती हैं? ओवैसी की पार्टी के आने से क्या समाजवादी पार्टी को नुकसान होगा? क्या समाजवादी पार्टी ओवैसी और शिवपाल यादव की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करना चाहती? ऐसे कई मुद्दों एवं पार्टी की रणनीति को लेकर समाजवादी अल्पसंख्यक सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना यासीन उस्मानी ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ खुलकर बात की. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : चर्चा है कि इस बार समाजवादी पार्टी मुसलमानों को कम सीटें देने वाली है और ज्यादा से ज्यादा सीटों पर हिन्दू प्रत्याशी ही उतारे जाएंगे, क्या यह सही है?
जवाब : कहां की खबर है यह? कौन कर रहा है ऐसी बेवजह की चर्चा? समाजवादी पार्टी जितना अकलियतों का हक महफूज रखती है उतना कोई भी दूसरी पार्टी नहीं रखती. इसलिए मुस्लिमों की सीटें कम करने और ज्यादा से ज्यादा हिन्दू प्रत्याशी उतारने की बातें हवाई हैं. मुस्लिमों को उनके हक की सीटें जरूर मिलेंगी. एक भी सीट कम नहीं होगी.
सवाल : बरेली में कितनी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जाएंगे? क्या जितनी सीटें हर बार मिलती थीं उतनी मिलेंगी?
जवाब : बरेली में मुस्लिमों का जितना हिस्सा बनता होगा उतना हर हाल में मिलेगा. पिछली बार जितनी सीटों पर बरेली में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे गए थे उतनी ही सीटें इस बार भी जरूर मिलेंगी.
सवाल : क्या सीटों पर बदलाव की भी कोई योजना है?
जवाब : देखते हैं अभी, चर्चा चल रही है. कोशिश यही होगी कि हम लोग ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतें और इसके लिए बदलाव की जरूरत महसूस हुई तो जरूर करेंगे.
सवाल : इस बार का चुनाव भी हिन्दू-मुस्लिम के आधार पर लड़ने की तैयारी विरोधी कर रहे हैं. सपा इस बार किन मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहती है?
जवाब : हमारा मुद्दा सिर्फ मोहब्बत, प्यार, तरक्की, नौजवानों को रोजगार, कमजोरों को ताकत और सबकी हिस्सेदारी है. इन्हीं मुद्दों पर हम चुनाव लड़ेंगे.
सवाल : इस बार यूपी में हैदराबादी भाईजान ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी चुनाव लड़ने जा रही है. बिहार में इस पार्टी का काफी अच्छा प्रदर्शन रहा था? क्या आपको लगता है कि समाजवादी पार्टी को इसका नुकसान होगा?
जवाब : आप बेफिक्र रहिये, बंगाल के लोगों ने जितनी समझदारी से वोट किया था उससे भी अधिक समझदारी से यूपी की जनता वोट करेगी और वर्ष 2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी.
सवाल : क्या ओवैसी की पार्टी के साथ आप गठबंधन नहीं करेंगे?
जवाब : देखिये, ओवैसी और हमारी विचारधारा ही अलग है. यहां हम उत्तर प्रदेश की छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन की बात कर रहे हैं. चूंकि गठबंधन की पॉलिटिक्स भी कई बार हो चुकी है इसलिए समाजवादी पार्टी उन्हीं पार्टियों के साथ गठबंधन करेगी जहां यह लगेगा कि हम कामयाब होंगे और सरकार बनाने की तरफ आगे बढ़ेंगे.
सवाल : क्या ओवैसी की पार्टी इस दायरे में नहीं आती?
जवाब : इस पर अभी चर्चा नहीं हुई है.
सवाल : शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी से गठबंधन करना चाहते हैं लेकिन अखिलेश यादव उन्हें मुलाकात का समय भी नहीं दे रहे हैं. क्या आपको लगता है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से सपा को गठबंधन करना चाहिए?
जवाब : यह सवाल राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से कीजिये. वही इसका जवाब दे सकते हैं.
सवाल : भाजपा सरकार के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : हर वक्त नफरत की बातें, धर्म और मजहब की बातें सुन-सुन कर कान पक गए हैं. आप किस आधार पर मुसलमानों का विश्वास जीत पाएंगे? वह किस तरह खुद को मुसलमानों का हितैषी बताएंगे? मुसलमानों की तो छोड़िये आप यह बताइये कि यह सरकार किसकी हितैषी है?क्या व्यापारियों की हितैषी है, महिलाओं की हितैषी है, किसानों की हितैषी है, नौजवानों की हितैषी है या सरकारी कर्मचारियों की हितैषी है? ऑक्सीजन नहीं मिलने पर हजारों लोग मर गए, पेट्रोल सौ रुपये लीटर के पार हो गया है. क्या कर रही है सरकार. सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम करके लोगों को बांट रही है.