विचार

जनता की सेवा से क्या लेना- देना…

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जो तिकड़म के ताऊ हैं वे आज भला, गली- गली की खाक यहाँ क्यों छानेंगे
जनता की सेवा से क्या लेना- देना, अपना उल्लू सीधा करके मानेंगे।

इधर खूब सत्ता से जुड़े लोग हैं तो, उधर घूमते हैं लाचार और निर्बल
सदा ‘न्याय तक पहुँच’ योजना चलती है, नहीं समस्या का निकला फिर भी तो हल

मिले यातना हाय हिरासत में अब भी, लोग भला कानून यहाँ कब जानेंगे
जनता की सेवा से क्या लेना- देना, अपना उल्लू सीधा करके मानेंगे।

हाय ‘थर्ड डिग्री’ का जो उत्पीड़न है, अच्छे- अच्छे लोग न इससे बच पाए
अन्य पुलिसिया अत्याचार रहे जारी, जो सज्जन की आँखों में आँसू लाए

राष्ट्रीय विधि सेवा का जो प्राधिकरण, उसकी गरिमा जो न यहाँ पहचानेंगे
जनता की सेवा से क्या लेना- देना, अपना उल्लू सीधा करके मानेंगे।

जुड़ें पुलिस अधिकारी अब सद्भावों से, सदा नालसा का भी रहा यही कहना
अधिकारों का हो उपयोग उचित तब ही,मर्यादाओं में सीखें वे जब रहना

जिन लोगों में ऐठ भरी है वे तो अब, रौब दिखाने को ही सीना तानेंगे
जनता की सेवा से क्या लेना- देना, अपना उल्लू सीधा करके मानेंगे।

जब संवेदनहीन पुलिस है हो जाती, मानवता कितने कष्टों को है पाती
फिर हर तरफ वसूली का देखो चक्कर, कड़वी बात भला किसको है अब भाती

चोर-चोर मौसेरे भाई जो इनमें, काला धन उजला करने की ठानेंगे
जनता की सेवा से क्या लेना- देना, अपना उल्लू सीधा करके मानेंगे।

उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
‘कुमुद- निवास’
बरेली (उ० प्र०)
मो.  98379 44187

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