नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी इन दिनों नई हवा है नई सपा है… का नारा बुलंद कर रही है. निश्चित तौर पर समाजवादी पार्टी अब नए रूप में सामने आ रही है. वीरपाल सिंह यादव जैसे दिग्गजों से किनारा करने वाली समाजवादी पार्टी अब कुछ और दिग्गजों से किनारा करने के मूड में नजर आ रही है. राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा जोर-शोर से हो रही है. लखनऊ से नई सपा की नई हवा चलने के संकेत मिल रहे हैं उसमें बरेली जिले के दिग्गज भी उड़ सकते हैं, ऐसी चर्चाओं का बाजार गर्म है.
दरअसल, पिछले विधानसभा चुनावों में सममाजवादी पार्टी के कई दिग्गज चारों खाने चित हो गए थे. इनमें से कुछ दिग्गज ऐसे भी हैं जिनकी दबंगई वाली छवि खुद सपा के आला नेताओं को भी खटकने लगी है. वहीं बरेली में सपा के कुछ दिग्गज त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपना दबदबा कायम नहीं रख सके. कुछ ने ब्लॉक प्रमुख बनवा दिए तो वह भी संदेह के घेरे में आ गए. भाजपाइयों से सौदेबाजी की इनकी शिकायत राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तक पहुंच चुकी है. यही वजह है कि अब पार्टी में इन दिग्गजों का टिकट कटने की चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
इन नेताओं में सबसे पहला नाम पूर्व मंत्री अताउर्रहमान का आ रहा है. अताउर्रहमान जब पिछली बार विधानसभा चुनाव लड़े थे तो उन्हें बसपा के नसीम अहमद से भी कम वोट मिले थे जबकि नसीम अहमद पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े थे. जिस वजह से सपा वहां दूसरे की बजाय तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी.
अब नसीम अहमद समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं. उनकी पत्नी बहेड़ी नगरपालिका की चेयरमैन भी हैं. ऐसे में सियासी जानकार मानते हैं कि पार्टी नंबर तीन की पोजिशन पर रहने वाले अताउर्रहमान की जगह नंबर दो पर रहने वाले नसीम अहमद को मौका देगी. बहरहाल, अभी सिर्फ इसकी चर्चा ही हो रही है, पुष्टि नहीं हो सकी है.
दूसरे दिग्गज नेता पूर्व मंत्री और भोजीपुरा सीट से सपा के प्रबल दावेदार शहजिल इस्लाम हैं. शहजिल इस्लाम को सियासत अपने पिता से विरासत में मिली थी लेकिन पिछले काफी समय से पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाने के साथ ही इस बार उनके बाहरी विधानसभा क्षेत्र के निवासी होने का मुद्दा भी विरोधी जोर-शोर से उठा रहे हैं. हालांकि, इस मुद्दे में बहुत ज्यादा दम नजर नहीं आता लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार का खुला विरोध करने के आरोप शहजिल इस्लाम पर भारी पड़ सकते हैं.
साथ ही मेवाती समाज के दो-दो प्रबल दावेदार शहजिल इस्लाम की मुश्किलें बढ़ाते नजर आ रहे हैं. इनमें एक नाम हाजी तसव्वर खां का है तो दूसरा चौधरी अफसर खां का. चूंकि शहजिल इस्लाम अंसारी बिरादरी से ताल्लुक़ रखते हैं और अंसारी बिरादरी के मुकाबले मेवाती समाज के वोटरों की संख्या भोजीपुरा में लगभग तीन गुना अधिक है. ऐसे में पार्टी के लिए मेवाती समाज को दरकिनार करना आसान नहीं होगा, ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है. वहीं इस सीट पर कुर्मी वोटों का आंकड़ा भी लगभग 60 हजार के पार है. समाजवादी पार्टी में भी इस बार कुर्मी बिरादरी से अर्जुन सिंह टीटू प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. वह दो बार जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं. वहीं जदयू से सपा में आए मनोहर लाल पटेल ने भी दावेदारी दिखा दी है. सियासी जानकार संभावना जताते हैं कि इस बार भोजीपुरा सीट से सपा हिन्दू कार्ड भी खेल सकती है. ऐसे में टीटू की प्रबल संभावनाएं हैं. अगर पार्टी इन पहलुओं पर विचार करती है तो शहजिल इस्लाम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
दिग्गजों में तीसरा नाम मीरगंज के पूर्व विधायक सुल्तान बेग का आता है. वैसे तो सुल्तान बेग का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी सुल्तान बेग एकमात्र ऐसे पूर्व विधायक रहे जिसने अपनी विधानसभा सीट से दो ब्लॉक प्रमुख जिताए हैं लेकिन इन दोनों ब्लॉक प्रमुखों की जीत ही सुल्तान बेग के गले की फांस बन गई है.
उन पर भाजपा नेताओं से मिलीभगत कर अपने करीबी ब्लॉक प्रमुख उम्मीदवार जिताने और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को फायदा पहुंचाने की सौदेबाजी करने का आरोप लगा है. ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सुल्तान बेग का टिकट कट सकता है और उनकी जगह हाजी गुड्डू अथवा सुरेश गंगवार सपा के उम्मीदवार हो सकते हैं.
इनके अलावा महिपाल सिंह यादव और विजयपाल सिंह का भी पत्ता साफ होने की चर्चाएं तेज हो चुकी हैं.
फिलहाल चर्चाओं का बाजार गर्म है. विधानसभा का टिकट किसे मिलेगा और किसे आश्वासन का पुलिंदा थमाया जाएगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. बहरहाल, दिग्गजों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं और टिकट हासिल करने के लिए उन्हें भी एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है.