सोहना, संजय राघव
सूर्य उपासना के सर्वश्रेष्ठ पर्व छठ महापर्व सोमवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। मंगलवार को खरना, बुधवार को अस्ताचलगामी और वीरवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व देवीलाल स्टेडियम में समापन होगा। इसको लेकर सोहना में विशेष तैयारियां की जा रही हैं देवी लाल स्टेडियम के अंदर एक विशाल तालाब तैयार किया गया है जिसमें बुधवार की प्रात है शुद्ध जल भरा जाएगा वहीं सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए पूरी तरह से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
छठ महापर्व को लेकर सोहना में तैयारियां जोरों पर हैं। श्रद्धालुओं ने पर्व के लिए जमकर खरीदारी की। नहाय खाय से आरंभ हुए छठ महापर्व के लिए सोहना के आस पास पूर्वाचल समाज के लोगों व छठ व्रतियों ने स्नान करके छठ व्रत का आरंभ किया। इसके लिए सोहना के देवीलाल स्टेडियम में तालाब बनाया गया है।
अखलेस्वर पांडे व वीरमणि ने बताया कि सोमवार को छठ व्रती महिलाओं ने स्नान किया और खरीदारी की। उन्होंने बताया कि व्रतधारी घरों में भोजन में लहसून-प्याज का परहेज रखते हैं। कद्दू की सब्जी व चावल पक्का कर खाया जाता है। व्रतियों ने बाजारों में अर्घ्य से संबंधित सामग्री बांस की टोकरी, कोल सूप, सिंदूर, बद्धी, धूप, पानी वाला नारियल, अनानास, गागर व अन्य मौसमी फलों की खरीदारी की। विनोद शुक्ला ने बतया की मंगलवार को आज छठ पूजा का पहला व्रत था इसे खरना कहते हैं। जिसमें व्रती पूरा दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को नए चावल, गुड़ व दूध की खीर और रोटी बनाकर भगवान सूर्य व छठी मैया को भोग लगाते हैं।
पुत्रों के लिए है छठ महापर्व का व्रत : देवदत्त शर्मा एडवोकेट
एडवोकेट देवदत्त शर्मा ने बताया कि महिलाएं छठ का कठोर व्रत पुत्र के लिए करती हैं। इस व्रत में शक्ति माता षष्ठी एवं सूर्यदेव दोनों की उपासना होती है, इसलिए इसे सूर्यषष्ठी कहा जाता है। इस व्रत से जहां भगवान सूर्य देव समस्त वैभव प्रदान करते हैं, वहीं माता षष्ठी प्रसन्न होकर पुत्र देती हैं, साथ ही पुत्रों की रक्षा भी करती हैं।
महापर्व मनाने की विधि
खरना
व्रत के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन शाम को पूजा के बाद व्रत का पारण होगा। व्रत खोलने में नैवेद्य और प्रसाद ग्रहण करेंगी। सायं सूर्य भगवान की पूजा करने के पश्चात खीर पूडी का भोग लगाया जाएगा।
तीसरा दिन : संध्या अर्घ्य
व्रत के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन व्रती दिनभर अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगी। शाम को सूर्यास्त के समय जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा। आटे का ठेकुआ और विभिन्न प्रकार के फल प्रसाद में रखे जाएंगे। सूर्य नारायण और छठी माता को अर्पित करेंगे।
चौथा दिन : उगते हुए सूर्य को अर्घ्यव्रती ब्रह्मा मुहूर्त में अर्घ्य सामग्री लेकर जलाशय में खड़े होकर सूर्याेदय होने की प्रतीक्षा करेंगे। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद दान-पुण्य कर व्रत खोलेंगे।