किसी के काम आ सके वो
जिंदगानी चाहिये।
जज्बा जोशो जनून और
जवानी चाहिये।।
जीवन में कोई अर्थ हो
हमारे सबके ।
रुकी रुकी नहीं जिन्दगी में
रवानी चाहिये।।
हर किसी की हर किसी पर
मेहरबानी चाहिये।
दूर तक नहीं किसी काम में
बेईमानी चाहिये।।
तुम पर कर सके एतबार
और यकीन।
हर बात में तेरे वजन बस
खानदानी चाहिये।।
सोच ऊँची उड़ान ऊँची
आसमानी चाहिये।
सीखने को जिन्दगी में कभी
परेशानी चाहिये।।
अनुभव की भट्टी में तप कर
जीवन बनता कुंदन।
कभी न भूले जिंदगानी वह
कहानी चाहिये।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस” बरेली