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कलीमुद्दीन का मास्टर स्ट्रोक, बिजी शेड्यूल के बावजूद अखिलेश यादव ने कलीमुद्दीन के लिए निकाला समय, पढ़ें दस मिनट की बातचीत में क्या रहा खास?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी में टिकट के लिए दावेदार अंतिम जोर लगा रहे हैं। बरेली जिले के दावेदार भी लगातार लखनउ के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन चुनिंदा दावेदार ही पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव से मुलाकात में सफल हो सके हैं। हालांकि, अखिलेश यादव उन दावेदारों के साथ फोटो खिंचवाने में पूरी तरह परहेज कर रहे थे लेकिन सपा नेता मोहम्मद कलीमुद्दीन एकमात्र ऐसे दावेदार हैं जो अखिलेश यादव के साथ न सिर्फ मुलाकात करने में सफल रहे बल्कि उनके साथ फोटो खिंचवाकर अखिलेश यादव ने यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि वह सिर्फ उन्हीं दावेदारों के साथ हैं जो पार्टी के लिए समर्पित हैं न कि व्यक्ति विशेष के लिए। अखिलेश यादव सिर्फ उन्हीं दावेदारों को तरजीह दे रहे हैं जो पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं। चूंकि मो. कलीमुद्दीन लगातार पिछले काफी समय से पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती देने का काम कर रहे हैं इसलिए अखिलेश यादव ने अपने बिजी शेड्यूल में से शहर विधानसभा सीट से सपा के टिकट के प्रबल दावेदार मो. कलीमुद्दीन और उपाध्यक्ष व पार्षद शमीम अहमद के लिए समय निकाला और उनके साथ तस्वीर खिंचवाकर एक संदेश देने का भी प्रयास किया है।
सपा नेता शमीम अहमद और मो. कलीमुद्दीन बताते हैं कि राजधानी के जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट हॉल में लगभग दस से पंद्रह मिनट तक उनकी अखिलेश यादव से बातचीत हुई। इस दौरान कलीमुद्दीन ने जहां अखिलेश यादव को शहर विधानसभा सीट पर अपनी जीत का सियासी गणित समझाया और क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी तो वहीं उपाध्यक्ष और पार्षद शमीम अहमद ने उन्हें विभिन्न विधानसभा सीटों की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया। साथ ही विभिन्न दस्ताावेज भी उपलब्ध कराए जो पार्टी की जीत की रणनीति बनाने में अहम साबित हो सकते हैं।
बहरहाल, अखिलेश यादव के साथ मो. कलीमुद्दीन की यह मुलाकात सकारात्मक बताई जाती है। इससे जहां कलीमुद्दीन की दावेदारी को और मजबूती मिल रही है वहीं, उनके विरोधी दावेदारों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। इस मुलाकात के बाद कलीमुद्दीन बहुत उत्साहित हैं और बरेली पहुंचते ही उन्होंने दोगुने उत्साह से काम करना शुरू कर दिया है। बता दें कि पार्टी मुख्यालय की ओर से अंतिम तीन दिन में वोट बनवाने की जो जिम्मेदारी जिले के दावेदारों को दी गई थी उनमें भी मो. कलीमुद्दीन जिले में दूसरे स्थान पर रहे थे। कोरोना काल में जिस तरह से कलीमुद्दीन ने बेबस और जरूरतमंद लोगों की मदद की उसने कलीमुद्दीन की लोकप्रियता में चार चांद लगा दिए थे। उसके बाद वोटरशिप अभियान और फिर गली-मोहल्लों में जाकर नुक्कड़ सभाएं करना कलीमुद्दीन की दावेदारी को और मजबूती देता गया। अपने काम की बदौलत शहर विधानसभा सीट के सबसे कम उम्र के दावेदार होने के बावजूद कलीमुद्दीन सियासी दिग्गजों के बीच अपनी अलग पहचान स्थापित करने में कामयाब हो चुके हैं। बहरहाल, टिकट का इंतजार अभी दिसंबर तक करना होगा। 22 नवंबर को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के बाद ही उम्मीदवारों की घोषणा होने की संभावना जताई जा रही है।

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