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किसे धोखा दे रहे हैं कैंट से सपा के टिकट के दावेदार सुरेंद्र मिश्रा, ब्राह्मण समाज तो दूर जिस ब्राह्मण सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं वह भी नहीं सुरेंद्र मिश्रा के साथ, पढ़ें पूरी खबर

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नीरज सिसौदिया, बरेली
पुरानी कहावत है कि चुनावी बरसात में सियासी मेढक बिलों से बाहर निकलकर खूब शोर मचाते हैं। कुछ हवा बनाते हैं तो कुछ हवा में उड़ जाते हैं। कुछ ऐसा ही इन दिनों 125 बरेली कैंट विधानसभा सीट पर देखने को मिल रहा है। यहां भाजपा में तो दमदार दावेदार मैदान में जोर आजमाइश करते दिखाई दे रहे हैं लेकिन सपा में कुछ ऐसे दावेदार टिकट की लाइन में खड़े नजर आ रहे हैं जिनका अपना समाज तो दूर वह संगठन भी उनके साथ खड़ा होने को तैयार नहीं है जिसके वह पदाधिकारी हैं। ऐसे ही एक टिकट के दावेदार सुरेंद्र मिश्रा हैं। सपा द्वारा यह प्रचार किया जा रहा है कि योगी सरकार के कार्यकाल में ब्राह्मण भाजपा से नाराज है। जैसे ही अखिलेश यादव ने इसे मुद्दा बनाया वैसे ही समाजवादी पार्टी में ब्राह्मण दावेदारों की बाढ़ सी आ गई। बात अगर बरेली कैंट विधानसभा सीट की करें तो यहां पिछले कुछ दिनों से सपा के टिकट के दावेदार सुरेंद्र मिश्रा के होर्डिंग बैनर पोस्टरों की भरमार देखने को मिल रही है। बैनर, पोस्टरों के सहारे सुरेंद्र मिश्रा ने ऊपरी हवा तो बना ली मगर जमीनी स्तर पर होमवर्क ठीक से नहीं कर पाए और फजीहत करा बैठे।

मेयर डा. उमेश गौतम को आधुनिक पं. मदन मोहन मालवीय की उपाधि से अलंकृत करते अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रदेव त्रिवेदी और अन्य। सपा नेता सुरेंद्र मिश्रा इसी ब्राह्मण महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं।
विशिष्ट समाजवादी सम्मान समारोह के मंच पर अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्र देव त्रिवेदी को सम्मानित करने के बाद उनके चरण स्पर्श करते सपा के टिकट के दावेदार सुरेंद्र मिश्रा।

दरअसल, सुरेंद्र मिश्रा खुद ब्राह्मण हैं और अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने जितने भी होर्डिंग्स या बैनर पोस्टर लगाए हैं उन सभी में समाजवादी पार्टी के साथ ही अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा भी लिखा हुआ है। यहां पर यह बताना बेहद जरूरी हो जाता है कि सुरेंद्र मिश्रा उसी ब्राह्मण सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं जिसने विगत 25 दिसंबर यानी बीते शनिवार को भाजपा के मेयर और बरेली कैंट विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार डा. उमेश गौतम को “आधुनिक पंडित मदन मोहन मालवीय” की उपाधि से अलंकृत किया था। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रदेव त्रिवेदी का कहना है कि मेयर उमेश गौतम को यह सम्मान शिक्षा, चिकित्सा और समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय एवं सराहनीय योगदान के लिए दिया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि महासभा की ओर से हर साल यह सम्मान दिया जाता है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह सम्मान सपा के टिकट के दावेदार सुरेंद्र मिश्रा की सहमति से दिया गया? क्या सुरेंद्र मिश्रा मेयर की जिंदगी के इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने? इन सवालों का जवाब देते हुए अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्र देव त्रिवेदी कहते हैं कि यह फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी का था जिसमें सुरेंद्र मिश्रा की कोई सहमति नहीं ली गई। अब ब्राह्मण सभा में सुरेंद्र मिश्रा की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल भर में एक बार जो इतना बड़ा सम्मान महासभा की ओर से दिया जाता है वह किसे देना है इस बारे में सुरेंद्र मिश्रा से पूछना तक मुनासिब नहीं समझा जाता।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि यह वही ब्राह्मण महासभा है जिसकी ओर से मेयर डा. उमेश गौतम के साथ मिलकर संत शिरोमणि सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था और उस सम्मेलन में खुद मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर यतींद्र गिरि जी महाराज मेयर डा. उमेश गौतम की शान में कसीदे पढ़ते नजर आए थे। उस सार्वजनिक मंच से भाजपा को सत्ता में लाने का आह्वान करते हुए जय श्री राम के जयकारे लगाए गए थे। सपा नेता सुरेंद्र मिश्रा उसी अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं और समाजवादी पार्टी के पोस्टरों में उसी अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा का प्रचार कर रहे हैं।
बात सिर्फ यहीं पर खत्म नहीं होती। विगत 26 दिसंबर को सुरेंद्र मिश्रा की ओर से बीसलपुर रोड पर स्थित एक निजी बारात घर में विशिष्ट समाजवादी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें उसी अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्र देव त्रिवेदी को मंचासीन करने के साथ ही सम्मानित भी किया गया जिस महासभा ने एक दिन पूर्व भाजपा के मेयर उमेश गौतम को आधुनिक महापुरुष पंडित मदन मोहन मालवीय की उपाधि से अलंकृत किया था। यह सब समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष अगम मौर्य एवं महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी के आगमन से पहले ही कर दिया गया। जब तक ये दोनों समाजवादी अध्यक्ष पहुंचे तब तक पहला एपिसोड खत्म हो चुका था।
दिलचस्प बात यह है कि सुरेंद्र मिश्रा द्वारा सम्मानित होने के बावजूद ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्र देव त्रिवेदी सपा नेता सुरेंद्र मिश्रा को कैंट से टिकट मिलने पर भी महासभा द्वारा उनका समर्थन करने की बात से साफ इंकार करते हैं।
वह कहते हैं कि अगर समाजवादी पार्टी सुरेंद्र मिश्रा को टिकट दे भी देती है तो भी ब्राह्मण महासभा ब्राह्मणों से ऐसा कोई आह्वान या अपील नहीं करने वाली कि सुरेंद्र मिश्रा को वोट देकर विजयी बनाएं।
अब जबकि ब्राह्मण महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष होने के बावजूद उनका संगठन उनके पक्ष में वोट मांगने को तैयार नहीं है तो ब्राह्मण समाज का कितना वोट सुरेंद्र मिश्रा हासिल कर पाएंगे, इसका अंदाजा आप ही लगाया जा सकता है। जब सरेंद्र मिश्रा अपनी ही बिरादरी का वोट हासिल नहीं कर पाएंगे तो दूसरा समाज उन्हें कितना वोट देगा, इसका अंदाजा भी लगाया जा सकता है। ऐसे में सुरेंद्र मिश्रा खुद को धोखा दे रहे हैं या पार्टी को, यह समझ से परे है।

बहरहाल, सपा का ब्राह्मण कार्ड सुरेंद्र मिश्रा के नाम पर तो बिल्कुल भी नहीं चलने वाला। इसलिए सिर्फ ब्राह्मण चेहरे के नाम पर सुरेंद्र मिश्रा की दावेदारी कहीं से भी मजबूत नजर नहीं आती। वैसे भी बरेली जिले में उमेश गौतम खुद को ब्राह्मण चेहरे के रूप में स्थापित करने में कामयाब होते नजर आ रहे हैं।

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