हमेशा अपने पुरुषार्थ और विश्वास की पूँजी संजोंकर रखना।
सब नहीं मिला जीवन में तो गम ना कर। प्रभु की कृपा अपार है उसको कम ना कर। जो प्राप्त है वह पर्याप्त है समझना है जरूरी। पर चलना बहुत जरूरी उसको थम ना कर।
ऊपरवाले की रहमतों के हमेशा शुक्रगुजार बनों। हमेशा कोशिश रहे जारी ऐसे बरखुरदार बनों। बस अहमो वहम से सदा बना कर रखना दूरी। अपने पुरुषार्थ पर ही भरोसा ऐसे खुद्दार बनो।
वही जीवन सफल जिसमें सदा विश्वास होता है। दृढ़ संकल्प इच्छा शक्ति का भीतर वास होता है। प्रभु की दिव्य कृपा रहती हमेशा साथ में। जिसके मन में सदैव ही यह आभास होता है। रचयिता।।एस के कपूरश्री हंस बरेली।
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