पंजाब

भाजपा में साइडलाइन किए जा सकते हैं अमरी, नए देहाती प्रधान के लिए नए सिख चेहरे की तलाश तेज, पढ़ें किस मोड़ पर आ खड़ी है भाजपा की सियासत?

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नीरज सिसौदिया, जालंधर
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी ने संगठन को मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है। इसी कड़ी में जालंधर में भी बदलाव की कवायद तेज हो चुकी है। पार्टी के विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि इस बार ज्यादा फोकस देहाती जिले पर है। पार्टी इस बार देहात की कमान ऐसे सिख चेहरे को देना चाहती है जिसकी छवि साफ-सुथरी हो, ग्रामीण पृष्ठभूमि से हो और विवादित बिल्कुल भी न हो। ऐसे में माना जा रहा है कि वर्तमान देहाती जिला प्रधान अमरजीत सिंह अमरी साइडलाइन किए जा सकते हैं। अगला देहाती प्रधान कौन होगा यह तो फिलहाल तय नहीं है लेकिन अमरी की कुर्सी जाना तय माना जा रहा है।
दरअसल, अमरी को पार्टी ने देहात की कमान तो सौंप दी थी लेकिन वह अपने परिवार को ही जोड़ने में कामयाब नहीं हो सके। उनके भाई गुरचरण सिंह चन्नी, भांजा अमरप्रीत सिंह मोंटी अकाली दल संयुक्त और अकाली दल का झंडा बुलंद करते रहे। विरोधी आरोप लगाते हैं कि जो शख्स अपने परिवारीजनों को एक मंच पर लाने में कामयाब नहीं हो सका वह पूरे देहात में भगवा कैसे लहरा पाता? हालांकि, अमरी ने संगठन को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत बहुत की लेकिन उम्मीद के अनुरूप सफलता हासिल करने में वह नाकाम रहे।
वहीं, दूसरी ओर अमरी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी बढ़ने लगीं। देहात की कमान संभालने के साथ ही वह विधानसभा के टिकट के दावेदार भी हो गए। वह कैंट विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर सरबजीत सिंह मक्कड़ की एंट्री ने उन्हें चारों खाने चित कर दिया। हालांकि, मक्कड़ भी जीत हासिल करने में नाकाम रहे लेकिन टिकट न मिलने के कारण अमरी आहत जरूर हुए। अब सवाल यह उठता है कि आखिर बिखरी हुई भाजपा देहात में कैसे मजबूत हो पाएगी? सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा सिर्फ अमरी के दम पर देहात में भगवा नहीं लहरा सकेगी। अगर भाजपा को देहाती क्षेत्र में भगवा लहराना है तो उसे सिखों का साथ लेना होगा। ऐसे में भाजपा को एक ऐसा सिख चेहरा आगे लाना होगा जो अमरी और मक्कड़ दोनों ही नेताओं के खेमे का न हो। वह सिख समाज का साफ-सुथरी छवि वाला नेता हो। देहाती इलाकों में भी पहुंच रखता हो। विधानसभा चुनाव के दौरान कई ऐसे चेहरे कांग्रेस और अकाली दल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे जो भाजपा को देहात में भी मजबूती दे सकते हैं। बस जरूरत है तो ऐसे चेहरे को पहचान कर उसे कमान सौंपने की। चूंकि कुछ ऐसे सिख चेहरे भी हैं जो खुद से इस दौड़ में आगे नहीं आना चाहेंगे लेकिन अगर पार्टी उन्हें मौका देगी तो देहात में भी भाजपा मजबूत पकड़ बना सकेगी। बहरहाल, भाजपा ने नए सिख चेहरे की तलाश तेज कर दी है। जल्द ही भाजपा के जिला संगठन में व्यापक बदलाव देखने को मिल सकता है।

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