नीरज सिसौदिया, जालंधर
विधानसभा चुनाव में भले ही भारतीय जनता पार्टी जीत का परचम लहराने में नाकाम रही हो मगर नगर निगम चुनाव को लेकर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि प्रत्येक वार्ड में पार्षद पद के लिए भाजपा के टिकट के दावेदारों की लंबी कतार लगी हुई है। बात अगर वार्ड 19 की करें तो यहां वैसे तो करीब आधा दर्जन से भी अधिक दावेदार कतार में हैं लेकिन असली लड़ाई चार प्रमुख चेहरों के बीच नजर आ रही है।
इनमें पहला नाम भाजपा नेता अजय जगोता की पुत्री एवं पूर्व प्रत्याशी किरन जगोता का है। किरन जगोता सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। सियासत उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है। चुनाव में हार मिलने के बावजूद उनकी सक्रियता कम नहीं हुई। उनका परिवार मनोरंजन कालिया का करीबी भी माना जाता है। यही वजह है कि राजनीतिक गलियारों में टिकट की लड़ाई में पहले पायदान पर किरन जगोता का नाम लिया जा रहा है।
दूसरा बड़ा चेहरा भाजपा के प्रदेश सचिव अनिल सच्चर का है। अनिल सच्चर पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। वह लंबे समय से पार्टी के प्रति समर्पित भाव से काम कर रहे हैं। इसलिये इस बार वफादारी का ईनाम भी चाहते हैं। हालांकि, उनका कहना है कि भाजपा में संगठन तय करता है कि किसे कौन सी भूमिका में आना है। वह विधानसभा का टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें संगठन में अहम जिम्मेदारी दे दी जिसे वह सेवा भाव से निभा रहे हैं। वह कहते हैं कि पार्षद का चुनाव लड़ने की उनकी कोई इच्छा नहीं है लेकिन अगर संगठन उनकी कोई भूमिका तय करेगा तो वह उसे पूरी जिम्मेदारी से निभाएंगे।
तीसरा चेहरा वरिष्ठ भाजपा नेता रामलुभाया कपूर के पुत्र राजेश कपूर का सामने आ रहा है। राजेश कपूर को भी सियासत अपने पिता से विरासत में मिली है। वह युवा हैं और अपने पिता के साथ किशोरावस्था से ही राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। राजेश कपूर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करते हुए कहते हैं कि अगर पार्टी उन्हें मौका देती है तो वह वार्ड 19 से पार्षद का चुनाव लड़ना चाहते हैं।
चौथा नाम युवा नेता और भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सरीन का है। अशोक सरीन का नाम पिछली बार भी चर्चा में था लेकिन किरन जगोता बाजी मार ले गई थीं। अशोक सरीन कहते हैं कि उन्होंने अभी इस बारे में सोचा नहीं है। पार्टी जिसे टिकट देगी उसी को चुनाव लड़वाएंगे और जिताने का काम करेंगे।
बहरहाल, भाजपा नेताओं की सक्रियता पार्टी के लिए फायदेमंद है। कांग्रेस में जहां भगदड़ का माहौल बना हुआ है वहीं भाजपा नेताओं की तटस्थता पार्टी की मजबूती का प्रमाण दे रही है। हालांकि, चुनाव से ठीक पहले किस तरह की उठापटक होगी यह कहना फिलहाल मुश्किल है।