यूपी

विश्व पुस्तक दिवस पर साहित्यकार रणधीर गौड़ सम्मानित

Share now

नीरज सिसौदिया, बरेली

विश्व पुस्तक दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ परिवार के तत्वावधान में प्रदेश प्रवक्ता योगेश जौहरी के संयोजन में स्थानीय पांचाल पुरी में काव्य संध्या एवं सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता रणधीर प्रसाद गौड़ ‘धीर’ ने की। मुख्य अतिथि विनय सागर जायसवाल एवं विशिष्ट अतिथि डॉ शिव शंकर यजुर्वेदी रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ शारदे एवं भगवान श्री चित्रगुप्त के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर एवं उनकी वंदना से हुआ।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ ‘धीर’ को उनके उत्कृष्ट साहित्यिक योगदान के लिए संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उपमेंद्र सक्सेना एड. एवं प्रदेश प्रवक्ता योगेश जौहरी ने स्मृति चिन्ह, पुष्प हार एवं अंग वस्त्र प्रदान कर किया।
गीतकार उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने पुस्तकों के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए अपनी रचना प्रस्तुत की –
पुस्तकें अच्छी यहाँ जब हम पढ़ेंगे,
क्यों न उन्नति के शिखर पर अब चढ़ेंगे;
वही सच्ची मित्र मानव की रही हैं,
साथ लें उनका तभी आगे बढ़ेंगे।
विनय सागर जायसवाल ने सुनाया –
यह दास्तां आज भी महफूज है किताबों में
लड़े थे पियादे कभी किस तरह वजीरों से।
डॉ शिव शंकर यजुर्वेदी ने अपनी रचना के माध्यम से कहा-
किसी भी आम मानव को महामानव बनाने में।
हमारी ये किताबें ही तो मूलाधार होती हैं।।
रणधीर प्रसाद गौड़ ‘धीर’ ने अपनी रचना इस प्रकार प्रस्तुत की
पुस्तकें ही सबसे अच्छी मित्र हैं इंसान की।
इनसे ही मिलती है शिक्षा ज्ञान और विज्ञान की।।


सुभाष रावत राहत ‘बरेलवी’ ने अपनी रचना के माध्यम से कहा-
अच्छी पुस्तकें करती हैंं नवयुग का निर्माण।
शब्दों के रख तीर तू चढ़ा विधा- कमान।।
राज शुक्ल ‘गजल राज’ ने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा-
बचाती हैं व्यर्थ की सोच से साहित्य सिखलाती।
किताबें ही अकेलेपन की सच्ची मित्र होती हैं।।
कवि हिमांशु श्रोत्रिय ‘निष्पक्ष’ ने अपनी रचना के माध्यम से कहा-
आओ थोड़ी चर्चा कर लें,
आस-पास के बारे में।
बढ़ते मरुथल धरती जाती
हरी घास के बारे में।।
डॉ राम शंकर शर्मा प्रेमी ने पढ़ा-
पुस्तकें अमूल्ल हैं अरु मूल्यवान निधि हैं।
विकास में समाज के जिनका योगदान है।।
अनुराग बाजपई ने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा-
मेरी कविताओं को शब्द चाहिए, शब्दकोश का ज्ञान नहीं।
भरा हो जिनमें अर्थ भंडार, हो जिनमें अभिमान नहीं।।
कवि रितेश साहनी ने इस तरह पढ़ा-
सम्मति रोम- रोम में भर दो
ज्ञानदायिनी अमृत स्वर दो।
. कार्यक्रम में कवियों ने विश्व पुस्तक दिवस पर केंद्रित अपनी रचनाओं के माध्यम से लेखकों व प्रकाशकों के सम्मान में अपने बेहतरीन काव्य पाठ से देर शाम तक शमाँ बाँधे रखा।
इस अवसर पर सर्वश्री हिमांशु श्रोत्रिय निष्पक्ष, सुभाष रावत राहत ‘बरेलवी’ ,रामशंकर प्रेमी, सत्यवती सिंह सत्या, अनुराग बाजपाई राजीव सक्सेना रामधनी निर्मल, रितेश साहनी, समीर बिसरिया, शंकर स्वरूप सक्सेना व संजय सक्सेना आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राज शुक्ल ‘गजल राज’ ने किया।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *