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विधानसभा में फिर सपा का हंगामा, पूरे दिन को लिए किया वॉकआउउट, पढ़ें और क्या-क्या हुआ विधानसभा में?

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नीरज सिसौदिया, लखनऊ

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को छात्र संघों की बहाली, फीस वृद्धि, महंगाई, बेरोजगारी और अन्‍य मुद्दों को लेकर राज्य के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) और सहयोगी राष्‍ट्रीय लोकदल (रालोद) ने सदन से पूरे दिन के लिए बहिर्गमन किया। वहीं, सरकार ने पलटवार करते हुए कहा कि सरकार ने बेरोजगारी, चिकित्सा और शिक्षा समेत हर क्षेत्र में व्यापक सुधार किया है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का कोई एजेंडा होगा, जिसके चलते वह सदन छोड़कर चले गए। शुक्रवार को सत्र की शुरुआत पर विधानसभा अध्‍यक्ष सतीश महाना के आसन पर बैठते ही नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर मुद्दों पर जवाब न देने का आरोप लगाया। अखिलेश ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र छात्र-संघ चुनाव कराने की मांग को लेकर 800 दिन से आंदोलन कर रहे हैं और सरकार ने उन्हें ‘उपहार’ देते हुए 500 गुना फीस बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि सदन चार दिन चला और इस दौरान सरकार की तरफ से जनहित के मुद्दे, मसलन-महंगाई, बेरोजगारी, चिकित्सा, शिक्षा, बिजली पर कोई जवाब नहीं आया, लिहाजा हम लोग बहिर्गमन करते हैं। इसके बाद, अखिलेश अपनी सीट से उठ गए और उनके साथ सपा और रालोद के सभी सदस्‍य सदन से बाहर चले गए। जब अध्‍यक्ष ने पूछा कि वापस आएंगे तो सपा सदस्यों ने ‘नहीं’ में जवाब दिया। इसके बाद सदन की कार्यवाही मुख्‍य विपक्षी दल सपा और उसकी सहयोगी रालोद की अनुपस्थिति में ही चली। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्‍ना ने नेता प्रतिपक्ष के बहिर्गमन पर तंज कसते हुए कहा, “नेता प्रतिपक्ष का निश्चित तौर पर कोई और एजेंडा होगा, जिसके चलते वह सदन छोड़कर चले गए।” उन्‍होंने दावा किया कि हर विषय पर सरकार ने जवाब दिया। खन्‍ना ने कहा कि महंगाई, चिकित्‍सा, बेरोजगारी, बिजली, पानी, हर क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। उन्‍होंने दोहराया कि नेता प्रतिपक्ष अपने किसी एजेंडे के तहत ही सदन छोड़कर गए हैं। गौरतलब है कि विधानसभा सत्र की शुरुआत के पहले दिन सोमवार को भी सपा की अनुपस्थिति में ही सदन की कार्यवाही संपन्न हुई। सपा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने अपने सभी विधायकों के साथ महंगाई, बेरोजगारी, बदहाल कानून-व्यवस्था और किसान, महिला व युवा उत्पीड़न जैसे जनहित के मुद्दों को लेकर सपा मुख्यालय से विधानसभा तक ‘पैदल मार्च’ निकालने का ऐलान किया था। हालांकि, पुलिस ने बीच रास्ते में ही सपा प्रमुख और पार्टी विधायकों को रोक दिया था, जिससे वे सदन में नहीं पहुंच सके और धरने पर बैठ गए।

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