झारखण्ड देश

यहां मौत की गोद में पलती है जिंदगी…

Share now

झरिया से स्नेहा सिंह आैर स्वाती सिंह की रिपोर्ट


अतीत के पन्नों में हसीन यादों का सफरनामा सहेजने वाले झरिया शहर का सफर, अब खत्म होने को है। कभी बिहार और आसपास के प्रदेशों के बेरोजगारों की उम्मीद बनने वाले इस शहर के बचने की अब कोई उम्मीद नहीं है। झरिया की कोख से निकले जिस कोयले ने पूरी दुनिया को रोशन किया, वही कोयला आज इस शहर के अंत का सबब बनता जा रहा है। नीचे धरती धधक रही है और ऊपर जिंदगी बेबस है। यहां रेल की पटरियां तो हैं मगर रेलगाड़ी की सीटी अब सुनाई नहीं देती. ये वो शहर है जहां मौत की गोद में जिंदगी पलती है.
झरिया शहर जिस जमीन पर बसा हुआ है वह जमीन अंदर से पूरी तरह खोखली हो चुकी है। शहर के नीचे दबे कोयले की आग इतनी बढ़ चुकी है कि अब उसे बुझा पाना नामुमकिन हो गया है। कुछ आशियाने जमींदोज हो चुके हैं और कुछ होने की कगार पर हैं। कोयले की आग कई जिंदगियां भी निकल चुकी है। जो सक्षम हैं उन्होंने अपना बसेरा ढूंढ लिया है लेकिन जो गरीब हैं वो मौत की गोद में जिंदगी तलाश रहे हैं।

सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं, हादसे दर हादसे बढ़ते जा रहे हैं। कुछ को मुआवजा मिला तो कुछ खाली हाथ रह गए।
कोयले की यह आग आज नहीं लगी बल्कि वर्षों पुरानी है। सन 1972 में जब कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण हुआ तो झरिया शहर की खदानें भी सरकार ने अपने अधीन ले लीं। इसके बाद ठेकेदारी का खेल चला और जमीनी खुली होती गईं। तब कोयले की है आग धीरे-धीरे सुलग रही थी। ठेकेदार कोयला तो निकाल लेते थे लेकिन खुली जगह पर जरुरत के मुताबिक बालू नहीं भरी जाती थी। नतीजा यह हुआ की कोयले की आग फैलती गई और धीरे धीरे पूरा झरिया शहर आग की जद में आ गया। यही वजह है कि अब इस शहर में कोई नया मकान नहीं बनता। जिनकी दीवारें जर्जर हो चुकी हैं वह भी उन्हें बनाना नहीं चाहते। झरिया की आग बुझाने को लेकर सियासत तो बहुत हुई मगर समाधान नहीं हुआ। जाने कितनी दफा झरिया के मुद्दे पर चुनाव लड़े और जीते गए लेकिन झरिया की आग नहीं बुझी। तंग गलियों में बसा झरिया का बाजार कभी दूर दराज से आने वाले लोगों के आकर्षण का मुख्य केंद्र होता था। अब यह बाजार भी अंतिम सांसें गिन रहा है। यहां के बाशिंदे अब नया ठिकाना तलाश रहे हैं। जाने कब धरती रूठ जाएगी और ये शहर उसमें दफ़न हो जाएगा यह कोई नहीं जानता। बेबस लोग सहमे हुए हैं और कोयले की आग इस शहर को निकलने को तैयार हैं। अगर समय रहते इस आग का कोई हल निकल गया होता तो शायद आज यह शहर इतिहास बनने से बच जाता।

 

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *