नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम हाउस की बैठक में गुरुवार को जो भी हुआ वह बेहद परेशान करने वाला था| इसके लिए जितने जिम्मेदार नगर निगम के अफसर हैं उतने ही जिम्मेदार नेता भी हैं। दरअसल सारा खेल अवैध बिल्डिंग को और अवैध कॉलोनियों से की जा रही अवैध वसूली का है| कल तक जो ठेका नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारी लिया करते थे आज वही ठेका विधायक और नेता लेने लगे हैं| यही वजह है कि अब नगर निगम जालंधर के हालात बद से बदतर हो चुके हैं|
दरअसल, बिल्डिंग ब्रांच हमेशा से ही भ्रष्टाचार का गढ़ रहा है| पहले बड़ी बड़ी सिफारिशें और विश्व की मोटी रकम देकर लोग बिल्डिंग विभाग में अपनी तैनाती करवाते थे| तैनाती के बाद शुरू होता था इलाके के बंटवारे का खेल| इसमें भी सिफारिश और पैसा दोनों ही चलता था| एक बार जिसे बिल्डिंग विभाग में तैनाती मिल जाती थी वहां से हिलने का नाम नहीं लेता था| अकाली-भाजपा गठबंधन के 10 साल के राज्य में यह खेल जोर-शोर से चला| कई अकाली और भाजपा नेता कॉलोनाइजर बन गए और अफसरों की भी जेबें गर्म होती रहीं। मेहरबान सिंह, रुपिंदर सिंह टिवाना, बांके बिहारी, परमपाल सिंह, अजीत शर्मा, नीरज शर्मा, जीत पाल जोशी, राजेंद्र शर्मा, एटीपी लखबीर सिंह, एटीपी नरेश मेहता और पूर्व सीनियर टाउन प्लानर तरलोक सिंह, मोनिका आनंद, पूर्व एडिशनल कमिश्नर जसवीर सिंह हीर जैसे अधिकारियों ने राजनीतिक संरक्षण में धड़ल्ले से अवैध निर्माण करवाया| उस वक्त इन्हें रोकने टोकने वाला कोई नहीं था| इसी का नतीजा है कि आज शहर में अवैध कॉलोनियों और अवैध बिल्डिंगों की भरमार है| हमें कुछ अधिकारी ऐसे थे जो खुलेआम बिल्डिंग हो और कॉलोनियों का सौदा करते थे वहीं कुछ ऐसे थे जिन्हें चढ़ावे में जो भी मिल जाता था वह रख लेते थे| पिछले 10 सालों में जो अकाली और भाजपा नेता कॉलोनाइजर बन गए उन्होंने कभी भी शहर में ना तो अवैध कॉलोनियों के खिलाफ आवाज उठाई और ना ही अवैध भी लोगों के खिलाफ| इनमें हर बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर सीनियर टाउन प्लानर तक की पहुंच गई बड़े अकाली भाजपा नेताओं तक थी। राजनीतिक संरक्षण में अवैध बिल्डिंग को और अवैध कॉलोनियों का खेल तो जमकर फला फूला साथ ही अफसरोंने बी जमकर चांदी काटी।
यही वजह है कि अकाली पार्षद परमजीत सिंह रेरू, मनजिंदर सिंह चट्ठा, कमलजीत सिंह गांधी, आदि ने कभी भी अवैध कॉलोनियों और अवैध बिल्डिंग का मुद्दा निगम हाउस की बैठक में नहीं उठाया|
मगर सत्ता बदलते ही सारा खेल बदल गया| अकाली भाजपा नेताओं ने बिल्डिंग विभाग में भ्रष्टाचार की जो फौज तैयार की हुई थी वह कांग्रेस के सत्ता में आने के बावजूद अकाली भाजपा नेताओं की शह पर ही चल रही थी| यही वजह है कि खुद नगर निगम के मेयर जगदीश राज राजा भी इन अफसरों के हाथों की कठपुतली बन गए| अवैध निर्माण कोई और अक्सर करवाता रहा और सस्पेंशन किसी और अधिकारी का कर दिया गया| नवजोत सिंह सिद्धू बस स्टैंड की जिम अवैध दुकानों को खुद गिराने का आदेश देकर आए थे वह दुकाने एटीपी लखबीर सिंह के कार्यकाल में ही बनी थी लेकिन लखबीर सिंह का बाल तक बांका नहीं हुआ| बताया जाता है कि एक बिल्डिंग इंस्पेक्टर कांग्रेस विधायक परगट सिंह का बेहद खास है और वह उस समय से बर्गर सिंह का खास बना हुआ है जब पढ़कर सिंह अकाली दल में हुआ करते थे| यही वजह है कि पूरा शहर इधर से उधर हो जाए मगर उस बिल्डिंग इंस्पेक्टर को कोई हिला नहीं पाया। सस्पेंशन की जो गाज उस बिल्डिंग इंस्पेक्टर को जितनी चाहिए थी वह बिल्डिंग इंस्पेक्टर अरुण खन्ना पर गिरा दी गई|
अकाली-भाजपा गठबंधन के कार्यकाल में सिर्फ अकाली और भाजपा नेताओं के ही अवैध महल खड़े नहीं हुए बल्कि कांग्रेसियों ने भी तब जमकर चांदी काटी थी लेकिन जो नहीं काट पाए थे वह सत्ता में आने के बाद काटने का सपना देख रहे थे| उनके सपनों पर निगम अधिकारियों ने ग्रहण लगा दिया| नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों की कार्यप्रणाली से कांग्रेस नेता भलीभांति परिचित थे| अवैध कॉलोनियों और अवैध इमारतों से होने वाली अवैध कमाई का आंकड़ा इतना बड़ा था कि सत्ता में आते ही कांग्रेस विधायकों ने इसका ठेका ले लिया| पहले जो रकम निगम अधिकारियों के खाते में जाती थी अब वह भी विधायकों के हिस्से में आने लगी| अकाली भाजपा नेताओं की अवैध कॉलोनियों और अवैध इमारतों पर कार्रवाई का दबाव बढ़ा तो निगम अधिकारियों के होश उड़ने लगे| मामला हाइलाइट होने के बाद अब अवैध बिल्डिंग और अवैध कॉलोनियों को बचाना इतना आसान नहीं रह गया था| सियासत में कच्चे रह गए जगदीश राजा यह सारा खेल मैनेज नहीं कर पाए और अपने ही निगम हाउस में अपने ही विधायक की थू थू करवा बैठे| जगदीश राजा के लिए यह बेहद शर्मनाक स्थिति है जब उनके ही सदन में बिल्डिंग इंस्पेक्टर ने खुलकर विधायक की सिफारिश के कारण कार्रवाई नहीं करने की बात कबूल कर ली|
विधायक सुशील रिंकु तो पहले ही बदनाम हो रहे थे अवैध कॉलोनियों के संरक्षण को लेकर लेकिन अब दूसरे हलके के विधायक राजेंद्र बीवी का नाम भी उछलने से यह साबित हो गया है कि अवैध बिल्डिंग और अवैध कॉलोनियों के खेल में सीधे सीधे विधायक शामिल हैं| इलाका चाहे राजेंद्र बेरी का हो या सुशील रिंकू का, बाबा हैनरी का हो या फिर परगट सिंह का, अवैध कॉलोनियों और अवैध इमारतों का खेल हर जगह धड़ल्ले से चल रहा है| अब सवाल यह उठता है कि अवैध बिल्डिंग और अवैध इमारतों के खेल में अधिकारियों और विधायकों की संलिप्तता का खुलासा होने के बावजूद क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे या फिर अवैध कॉलोनियों और अवैध बिल्डिंग का ठेका लेने वाले अपने विधायकों को संरक्षण देंगे| इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि सबसे पहले नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच की पूरी तरह से सफाई होनी चाहिए| यहां पर जमे हुए पुराने बिल्डिंग इंस्पेक्टरों को तत्काल स्थानांतरित किया जाना चाहिए वरना नगर निगम में “अंधेर नगरी चौपट राजा” का खेल तो चल ही रहा है|