राजस्थान

करौली-धौलपुर लोकसभा सीट से इस बार नया चेहरा उतार सकती है कांग्रेस, इनमें है मुकाबला…

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर टिकट की टिकटिक तेज हो गई है| टिकट के दावेदार अपने स्तर से जहां जोर आजमाइश में लगे हुए हैं वहीं पार्टियां भी निजी तौर पर सर्वे करवा रही हैं| बात अगर कांग्रेस की करें तो पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार कोई भी समझौता नहीं कराना चाहते| यही वजह है कि इस बार कांग्रेस में कुछ नए चेहरे दिखाई देंगे| ताजा मामला राजस्थान की करौली धौलपुर लोकसभा सीट का है|

वर्ष 2009 में इस सीट से कांग्रेस के खिलाड़ी लाल बैरवा सांसद बने थे| वर्तमान में वह बसेड़ी विधानसभा सीट से विधायक हैं| वर्ष 2014 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया था| उनकी जगह कांग्रेस ने लखीराम बैरवा को मैदान में उतारा था लेकिन भाजपा के मनोज राजोरिया ने लखीराम को धूल चटा दी थी। लखी राम की हार की सबसे बड़ी वजह यह थी कि जनता उन्हें पैराशूट उम्मीदवार मान रही थी| वह संगठन से जमीनी तौर पर कभी नहीं जुड़े रहे जिस कारण पार्टी कार्यकर्ताओं का साथ उन्हें चुनाव में नहीं मिला| यह सीट बैरवा उम्मीदवार के लिए फायदे का सौदा रही है| विशेषकर कांग्रेस से जब भी बैरवा प्रत्याशी मैदान में उतरा है तो उसे चाहे हार मिली हो या फिर जीत लेकिन वोटों का अंतर बहुत अधिक चौंकाने वाला है या हैरान करने वाला नहीं रहा। यही वजह है कि कांग्रेस इस बार भी किसी बेरवा समुदाय के उम्मीदवार को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है|

खिलाड़ी लाल बैरवा

 

खिलाड़ी लाल बैरवा को भी मैदान में उतारा जा सकता था लेकिन अब विधायक बन चुके हैं ऐसे में अगर उन्हें पार्टी टिकट देती है तो स्थानीय नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ेगा| ठीक उसी तरह से जिस तरह से पिछली बार लखीराम को उतारने पर करना पड़ा था| हालांकि खिलाड़ी लाल कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित होंगे या नहीं यह कहना फिलहाल मुश्किल होगा| टिकट के दावेदारों में दूसरा नाम लखीराम बेरवा का है| लखीराम मोदी लहर की भेंट चढ़ गए थे और पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते भी उन्हें यह सीट गंवानी पड़ी थी।

लखीराम बैरवा

लखीराम के विरोध में जो सबसे बड़ी बात आ रही है वह यह है कि वह कोई बड़ा चेहरा नहीं है| ना ही क्षेत्र की कोई बहुत बड़ी हस्ती हैं कि एक बार सीट गवाने के बावजूद वह दोबारा भरपाई कर लें। ऐसे में कांग्रेस इस बार लखीराम पर दांव नहीं खेलने वाली।
टिकट की दावेदारी की लिस्ट में तीसरा नाम राजस्थान प्रदेश कांग्रेस सचिव और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पहले दलित छात्र संघ अध्यक्ष डॉक्टर बत्ती लाल बैरवा का सामने आ रहा है| डॉक्टर बत्ती लाल बेैरवा इस समय दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। साथ ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के सचिव भी हैं| वह पार्टी में कई अहम जिम्मेदारियां भी निभा चुके हैं| छत्तीसगढ़ सरकार मेंं वह उच्च शिक्षा सलाहकार भी रहे हैं. साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा चेहरा भी हैं|

डॉ. बत्तीलाल बैरवा

छात्रसंघ अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने अपने नाम कई उपलब्धियां दर्ज कराई थीं। बिहार के डॉन शहाबुद्दीन का आतंक जब बड़ा तो बिहार भवन पर दिल्ली में हल्ला बोलने वालों में सबसे ऊपर डॉक्टर बत्ती लाल बेरवा का नाम था| बत्ती लाल बैरवा ने एक छोटे से दलित परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत के बूते यह मुकाम हासिल किया| साथ ही बत्तीलाल सबसे अधिक पढ़े-लिखे दावेदार हैं| शिक्षा के लिहाज से पिछड़े करौली धौलपुर संसदीय क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में बत्ती लाल के नेतृत्व में कई बदलाव संभव है| एक पढ़ी-लिखी उम्मीदवार और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर होने के साथ ही डॉक्टर बत्ती लाल बैरवा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कई सेमिनारों में भाग लेने वाले जाने माने शिक्षाविद् भी हैं| वह भारतीय युवा कांग्रेस के सचिव और एससी/एसटी सेल के अध्यक्ष भी रहे हैं. यही वजह है कि कांग्रेस इस बार डॉक्टर बत्तीलाल पर दांव खेलने की तैयारी कर रही है| इसके अलावा भी कांग्रेस में कुछ छोटे बड़े नाम लोकसभा चुनाव की दावेदारों की लिस्ट में तो नजर आ रहे हैं लेकिन उन पर मंथन करना फिलहाल शीर्ष नेतृत्व जरूरी नहीं समझ रहा| इस बात की चर्चा सूत्र करते हैं कि आलाकमान इस बार कोई नया चेहरा ही मैदान में उतारेगा। अब देखना यह है कि यहां से गहलोत खेमे के उम्मीदवार को पार्टी मैदान में उतारती है या फिर सचिन पायलट समर्थक को टिकट थमाती है। बहरहाल यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा कि कांग्रेस किसे मैदान में उतारेगी लेकिन एक साफ-सुथरी छवि वाला उम्मीदवार कांग्रेस के लिए जरूरी होगा यह आलाकमान को समझना होगा|

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