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परमवीर पर हाथ डालने से पहले महाराष्ट्र सरकार को करना पड़ेगा मंथन

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नरेश भारद्वाज, कैथल

महाराष्ट्र सरकार ने पूर्व कमिश्नर रहे परमवीर सिंह के साथ ज्यादती की तो गुज्जर समाज आंदोलन कर सकता है। शिवसेना और उसके सहयोगी दलों महाराष्ट्र उसके बहार गुर्जरों का विरोध झेलना पड़ सकता है। परमवीर के एक इशारे में पूरे भारत से गुर्जर शिवसेना की ईंट से ईंट बजा सकते हैं‌।
शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार परमवीर सिंह के खिलाफ न केवल बोलने से बच रही है अपितु कोई कार्रवाई करने से भी परहेज कर रही है। सब को विश्वास था कि सामना में जो शिवसेना का मुखपत्र है। परमवीर सिंह पर बड़े-बड़े आरोप लगाए जाएंगे। उन्हें बीजेपी का दलाल बताया जाएगा, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सामना में परमवीर सिंह के बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया। यहां तक कि हर मामले पर ट्वीट करने वाला संजय राऊत सिर्फ एक शायरी ट्वीट करके चुप हो गया। कभी कंगना राणावत को हरामखोर कहने वाला संजय राऊत परमवीर सिंह को हरामखोर चाह कर भी नहीं कह सकता, क्योंकि संजय राउत को पता है परमवीर सिंह ने चाहा तो संजय राउत सहित बड़े-बड़े लोग जेल में होंगे‌।
अंडरवर्ल्ड और सरकार का हर राज है परमवीर सिंह के पास
परमवीर सिंह के रिश्तेदार और गुर्जर नेता राव सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि इन्हें पता ही नहीं कि परमवीर सिंह क्या है? अंडरवर्ल्ड परमवीर के नाम से ही दहशत खाता था उनके पास अंडरवर्ल्ड के गहरे राज हैं। इनका एक भाई सेना में मेजर जनरल है, एक भाई रॉबर्ट वाड्रा का बिजनेस पाटनर है। गुर्जर बिरादरी में परमवीर सिंह और उनके परिवार का बहुत मान सम्मान है। अभी परमवीर सिंह ने सिर्फ गृह मंत्री का पोल खोला है। उसके पास महाराष्ट्र के सभी ताकतवर लोगों के पूरा डिटेल है। परमवीर सिंह के पास अरनव गोस्वामी को शिवसेना की तरफ से जो सुपारी दी गई थी। उसका पूरा डिटेल है। सुशांत सिंह केस का पूरा राज परमवीर सिंह के पास है‌। इसीलिए शिवसेना भूलकर भी परमवीर सिंह पर सवाल नहीं उठाएगी। वरना यदि परमवीर सिंह ने चाहा तो महाराष्ट्र के पूरी कैबिनेट जेल के सलाखों के पीछे होगी।
कैथल में की पढ़ाई और कैथल में ही हुई शादी
परमवीर सिंह के पिता होशियार सिंह1974 में कैथल में बतौर एसडीएम तैनात रहे हैं। उनकी स्कूली शिक्षा यहां के मॉडर्न स्कूल में हुई है। उनकी शादी भी 1986 में राव रघुविंदर सिंह की पुत्री सविता के साथ हुई थी। रघुविंदर सिंह के पिता राव नरसिंह दास गुर्जरों के बहुत बड़े नेता रहे हैं। पूरे देश का गुर्जर समाज उनकी बात सुनता था। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी उन्हें ताऊ कहकर बुलाती थी और जब वह कैथल आई तो उनसे मिलने उनके घर पर भी गई थी। परमवीर सिंह अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण तो गुज्जर समाज में पहुंच रखते ही हैं अपितु अपनी ससुराल के रसूख पर भी उनकी गुर्जर समाज में बहुत गहरी पैठ है। प्रदेश के सभी गुर्जर नेताओं की नजर उनके साथ चल रहे प्रकरण पर लगी हुई है।

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