नीरज सिसौदिया, बरेली
नगर निगम बरेली भ्रष्टाचारियों का गढ़ बन चुका है. यहां सबका अपना-अपना कानून चलता है. नगर आयुक्त का अपना कानून है, अधिकारियों का अपना कानून है और जनप्रतिनिधि अपने कानून के अनुसार काम कर रहे हैं. म्युनिसिपल एक्ट को छोड़कर यहां सभी कानून लागू होते हैं. ऐसा लगता है जैसे अधिकारियों को नगर निगम के राजस्व को चपत लगाने और रिश्वत की मोटी रकम लेकर गैरकानूनी काम के लिए नियुक्त किया गया है. आम जनता से किसी को कोई लेना देना नहीं है. ताजा मामला नॉवल्टी के पास स्थित दुकान नंबर 13 हीरा ब्रदर्स का सामने आया है. यहां नगर निगम के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की कथित मिलीभगत से छत की मरम्मत की अनुमति देकर दो मंजिला दुकान खड़ी कर दी गई. जबकि कानून कहता है कि नगर निगम दुकान दे सकता है मगर छत नहीं दे सकता. हैरानी की बात तो यह है कि इस दुकान को दोमंजिला बनाने के लिए बरेली विकास प्राधिकरण से भी कोई नक्शा पास नहीं कराया गया यानि बीडीए के अधिकारी भी अपना हिस्सा लेकर चलते बने. इसका खुलासा तब हुआ जब समाजसेवी राजकुमार मेहरोत्रा और निगम पार्षद मुनेंद्र सिंह ने इसकी लिखित शिकायत नगर निगम में की. शिकायत में नगर आयुक्त अभिषेक आनंद, सहायक लेखाधिकारी ह्रदय नारायण, अपर नगर आयुक्त, जेई राजीव शर्मा, राजस्व निरीक्षक एवं कर अधीक्षक को भ्रष्टाचार का आरोपी बनाया गया है. शिकायत में राजकुमार मेहरोत्रा ने कहा है कि नगर आयुक्त, सहायक लेखाधिकारी, अपर नगर आयुक्त और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से नॉवल्टी मार्केट स्थित दुकान नंबर 13 हीरा ब्रदर्स को छत मरम्मत की अनुमति देकर अवैध रूप से दोमंजिला दुकान बनवा दी गई. छत की ऊंचाई बढ़ाने की भी जो अनुमति दी गई थी उसमें यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि छत की ऊंचाई कितनी बढ़ानी है. प्रभारी राजस्व दुकान और सहायक लेखाधिकारी द्वारा हीरालाल को विगत पांच अप्रैल को इस शर्त पर छत मरम्मत की अनुमति दी गई थी कि क्षेत्रीय जेई राजीव शर्मा और राजस्व निरीक्षक की देखरेख में छत की मरम्मत का कार्य होगा तथा समस्त धनराशि पत्र प्राप्ति के तीन दिन के अंदर जमा करनी होगी. परंतु नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से मरम्मत की स्वीकृति देकर दो मंजिला दुकान बनवा दी गई. साथ ही विगत 10 जून को इसकी रसीद भी कटवा दी गई. रसीद में स्पष्ट रूप से लिखा है कि नगर आयुक्त महोदय के आदेश के अनुरूप राशि जमा करा दी जाए.
राजकुमार मेहरोत्रा ने पत्र में लिखा है कि रसीद काटकर अवैध निर्माण को नियमानुसार कर आर्थिक हानि एवं भ्रष्टाचार का कार्य किया गया है. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा कार्यकारिणी के प्रस्ताव संख्या 218 का सहारा लिया गया है जबकि उक्त प्रस्ताव कार्यकारिणी के अधिकार क्षेत्र के बाहर है. इसमें सिर्फ मरम्मत या ऊंचाई बढ़ाने के संबंध में नियम बनाने का प्रस्ताव था जबकि नियम बनाने का अधिकार बोर्ड अथवा शासन को है. कार्यकारिणी को यह अधिकार प्राप्त नहीं है. मेहरोत्रा ने मामले की जांच नगर निगम के अधिकारियों को छोड़कर किसी उच्च अधिकारी एवं भ्रष्टाचार निवारण संगठन से कराने की मांग की है.
बता दें कि नॉवल्टी मार्केट में सिर्फ हीरा ब्रदर्स ही नहीं अग्रवाल ब्रदर्स सहित कई अन्य दुकानों को भी इसी तरह नियम विरुद्ध दोमंजिला बनवा दिया गया है और नगर निगम को लाखों रुपये के राजस्व की चपत लगाई गई है. इस काले खेल में नगर निगम के अधिकारियों के साथ ही कुछ राजनेता भी शामिल हैं. सूत्र बताते हैं कि इस दुकान से संबंधित मूल दस्तावेज भी निगम की फाइल से गायब कर दिए गए हैं ताकि इस काले कारनामे पर लीपापोती की जा सके. अब देखना यह है कि नगर निगम के जंगल राज पर मेयर डा. उमेश गौतम अंकुश लगा पाते हैं या वह भी इन भ्रष्टाचारियों के दबाव में आकर खामोश बैठ जाते हैं.