नीरज सिसौदिया, बरेली
डॉक्टरों को धरती के भगवान का दर्जा दिया गया है. कोरोना काल में कई डॉक्टरों ने इसे साबित भी किया है. लॉकडाउन के दौरान कुछ डॉक्टर जहां लूट खसोट में लगे हुए थे वहीं कुछ डॉक्टर ऐसे भी थे जिन्होंने न सिर्फ लोगों को नि:शुल्क दवाएं वितरित कीं बल्कि उनकी पेट की आग बुझाने का इंतजाम भी किया. ऐसे ही एक डाक्टर हैं डा. शाहजेब हसन. डा. शाहजेब हसन एक काबिल डेंटिस्ट होने के साथ ही समाजसेवी और राजनेता भी हैं. वह पिछली सपा सरकार में बरेली विकास प्राधिकरण के नामित सदस्य भी रहे. वर्तमान में कैंट विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट के लिए दावेदारी कर चुके हैं. डा. शाहजेब हसन ने कोरोना काल में लोगों की काफी मदद की. खास तौर पर हजियापुर, एजाज नगर गौटिया, कटरा चांद खां और नवादा शेखान इलाकों में उन्होंने राशन वितरण, दवा वितरण आदि कार्य किए.
डा. हसन बताते हैं, “हजियापुर क्षेत्र में एक मलिन बस्ती है. पिछले साल बरेली शहर का दूसरा कोरोना मरीज इसी बस्ती से निकला था. इस बस्ती में जब कोरोना ने दस्तक दी तो पूरा इलाका सील कर दिया गया था. किसी को भी बाहर जाने की इजाजत नहीं थी. बैरियर लगाकर इलाका सील कर दिया गया. इस बस्ती में गरीब तबके के लोग रहते हैं. जो रोज कमाकर अपना गुजर बसर करते हैं. जब इस इलाके को सील कर दिया गया तो यहां के लोगों का काम धंधा चौपट हो गया. दिहाड़ी मजदूर, ठेले वाले, रिक्शे वाले लोगों के परिवार परेशान थे. जब मुझे इसकी जानकारी हुई तो मैं जगतपुर चौराहे पर स्थित अपने क्लिनिक में राशन के पैकेट बनवाए और नगर निगम के टेंपो के माध्यम से प्रभावित इलाके में ले गए. वहां जाकर लोगों को लगातार सात दिन राशन बांटा. दवा भी नि:शुल्क वितरित कराई.”
उस वक्त हालात बहुत बदतर थे. राशन तो मिल गया पर दवा की दिक्कतें हो रही थीं. काम धंधे चौपट होने से लोगों की जेब खाली हो चुकी थी. ऐसे में जरूरत की छोटी छोटी चीजें लेने के लिए भी लोगों के पास पैसे नहीं रह गए थे. डा. शाहजेब हसन बताते हैं, “उस वक्त मैंने लोगों की आर्थिक मदद भी की ताकि वे दवा के साथ ही जरूरत की कुछ चीजें भी खरीद सकें. मैं इतना संपन्न तो नहीं था कि पूरे शहर की सभी जरूरतें पूरी कर सकूं लेकिन एजाज नगर गौटिया, हजियापुर, नवादा शेखान, कटरा चांद खां और जगतपुर चौराहे के आसपास के इलाकों में लगातार 40 दिनों तक राशन और दवा वितरण का कार्य करता रहा. लगभग पांच-छह हजार गरीब परिवारों को हर प्रकार की सहायता की.”
कोरोना काल में संकट के दौर से हर जाति, धर्म के लोगों को गुजरना पड़ा था. डा. शाहजेब ने जब लोगों की मदद का बीड़ा उठाया तो जाति धर्म को दरकिनार कर दिया. डा. हसन कहते हैं, “गरीबी और परेशानियां जाति या धर्म देखकर नहीं आतीं. फिर मदद करते वक्त हम किसी का जाति धर्म देखकर कैसे मदद कर सकते हैं? मैंने जब लोगों की मदद की तो उनका जाति धर्म देखकर नहीं बल्कि परेशानियों को देखकर मदद की और हमेशा करता रहूंगा.”
डा. शाहजेब हसन समाजसेवा के क्षेत्र में काफी नाम कमा चुके हैं. अब उन्होंने कैंट विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट के लिए दावेदारी जताई है. इसी सीट से दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके इंजीनियर अनीस अहमद और डा. अनीस बेग जैसे दमदार दावेदार भी मैदान में हैं. ऐसे में डा. शाहजेब हसन खुद को कहां पाते हैं. उनकी दावेदारी का आधार क्या है? पूछने पर डा. हसन कहते हैं, “यूपी में आज भी विधानसभा चुनाव बिरादरी के आधार पर लड़ा जाता है. कैंट विधानसभा सीट की जो मुस्लिम आबादी है उसमें अंसारी बिरादरी लगभग 80 से 90 फीसदी है. मैं इसी बिरादरी से ताल्लुक़ रखता हूं. साथ ही डाक्टर होने के नाते अन्य धर्मों और जातियों के लोगों से मेरे बेहतर संबंध हैं. हर बिरादरी, जाति, धर्म के लोग मुझे पसंद करते हैं. अन्य जो दावेदार हैं वे उच्च जाति से आते हैं. इसलिए मैंने दावेदारी की है जिससे हमारी पिछड़ी बिरादरी के लोगों के लिए मैं कुछ कर सकूं. जब तक हमारी बिरादरी को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा तब तक हमारा समाज आगे नहीं बढ़ सकेगा.”
अंसारी बिरादरी से डा. शाहजेब हसन एकमात्र प्रबल दावेदार हैं. हालांकि पूर्व डिप्टी मेयर डा. मो. खालिद भी अंसारी बिरादरी से ही ताल्लुक रखते हैं लेकिन अब वह प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं. अगर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ सपा का गठबंधन होता है तो भले ही यह सीट प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के खाते में चली जाए लेकिन अगर गठबंधन नहीं होता है तो डा. शाहजेब हसन का दावा मजबूत रहेगा.