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कैंट विधानसभा सीट : प्रोफेसर या इंजीनियर? किसे टिकट दिलवाएंगे पूर्व मंत्री अताउर्रहमान? क्या दोस्ती पर भारी पड़ेगी रिश्तेदारी?, पढ़ें क्या है पूरा मामला?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
सियासत की पिच पर जीत उसी की होगी जो गुगली फेंकेगा. तमाशबीन तमाशा ही देखते रह जाएंगे और बाजी कोई दूसरा ही मार ले जाएगा. इस बार कैंट विधानसभा सीट का सियासी गणित बेहद दिलचस्प मोड़ पर खड़ा नजर आ रहा है. एक तरफ जहां भाजपा में पूर्व मंत्री और विधायक राजेश अग्रवाल की सियासत की विरासत संभालने के लिए भाजपा में प्रदेश सह कोषाध्यक्ष संजीव अग्रवाल, मेयर डा. उमेश गौतम और हर्षवर्धन आर्य जैसे दिग्गज लाइन में लगे हैं तो वहीं समाजवादी पार्टी में पूर्व मंत्री अताउर्रहमान दोस्ती और रिश्तेदारी के बीच उलझे नजर आ रहे हैं.
दरअसल, कैंट विधानसभा सीट से दो प्रबल दावेदार इंजीनियर अनीस अहमद और प्रोफेसर नसीम अख्तर हैं. इनमें इंजीनियर अनीस अहमद के पास दो बार विधानसभा चुनाव लड़ने का अनुभव भी है. साथ ही जब वह निर्दलीय चुनाव लड़े थे तो कैंट सीट से ही 25 हजार वोट हासिल किए थे. उनकी वजह से बसपा प्रत्याशी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी और बसपा उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले इंजीनियर अनीस अहमद के बराबर वोट भी हासिल कर सका था. इंजीनियर अनीस अहमद तब तीसरे नंबर पर रहे थे जबकि बसपा उम्मीदवार को पांचवें नंबर से ही संतोष करना पड़ा था. अब एक बार फिर इंजीनियर अनीस अहमद समाजवादी पार्टी से कैंट सीट से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

इंजीनियर अनीस अहमद

अनीस अहमद का चेहरा बरेली शहर में अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है. इलाके का बच्चा-बच्चा उनके नाम और काम से वाकिफ है. इस सीट से वैसे तो लगभग एक दर्जन से भी अधिक दावेदार सपा से टिकट मांग रहे हैं पर अनीस अहमद के सिर पर पूर्व मंत्री अताउर्रहमान का हाथ बताया जा रहा है. बता दें कि इंजीनियर अनीस को पार्टी में शामिल कराने में अताउर्रहमान की भी अहम भूमिका रही है. ऐसे में फिलहाल कैंट विधानसभा सीट पर इंजीनियर अनीस अहमद पर अताउर्रहमान का वरदहस्त माना जा रहा है. वहीं, अनीस अहमद की मजबूती की एक और वजह पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी से नजदीकियां भी हैं. दोनों ने साथ ही समाजवादी पार्टी ज्वाइन की है.
अब पेच फंसता है प्रोफेसर नसीम अख्तर पर. नसीम अख्तर पूर्व मंत्री अताउर्रहमान के बहनोई हैं. दोनों की रिश्तेदारी बेहद करीब का है. बरेली कॉलेज में लॉ डिपार्टमेंट के डीन रहे प्रोफेसर नसीम अख्तर सक्रिय राजनीति में लगभग दस साल पहले ही आए हैं. वह टिकट के लिए लखनऊ में दावेदारी करने की बात तो कहते हैं लेकिन महानगर के पदाधिकारियों का कहना है कि नसीम अख्तर ने महानगर से कोई एनओसी नहीं ली है और बिना एनओसी के आवेदन स्वीकार्य नहीं है. हालांकि, नसीम अख्तर कहते हैं कि आवेदन की प्रक्रिया की सभी औपचारिकताएं वह पूरी कर चुके हैं और अखिलेश यादव ने उन्हें टिकट का आश्वासन भी दिया है.

डा. नसीम अख्तर

यही वजह है कि वह अभी से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. नसीम अख्तर को अपने रिश्तेदार और पूर्व मंत्री अताउर्रहमान पर पूरा भरोसा है कि अगर उनसे कोई राय ली जाएगी तो वह सबसे पहले प्रोफेसर नसीम अख्तर का ही नाम सुझाएंगे.
बहरहाल, दोनों ही नेता अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं. हालांकि, अभी टिकट का बंटवारा नहीं हुआ है. ऐसे में अताउर्रहमान का आशीर्वाद किसे मिलेगा यह देखना दिलचस्प होगा. हालांकि, अताउऱर्हमान खुद भी चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में अपने ही रिश्तेदार की पैरवी कहां तक कर सकेंगे यह कहना मुश्किल है. चूंकि पार्टी भी एक ही जिले में एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट देगी, यह कहना मुश्किल है. ऐसे में इंजीनियर अनीस अहमद को फायदा मिल सकता है. चूंकि अगर नसीम अख्तर साइडलाइन किए गए तो अताउर्रहमान का पूरा जोर अनीस अहमद पर रहेगा. अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर इंजीनियर अनीस अहमद ही कैंट विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी होंगे. हालांकि, अगर पार्टी इस सीट पर किसी हिन्दू पर दांव खेलने के मूड में हुई तो अनीस अहमद के हाथ खाली हो सकते हैं लेकिन मुस्लिम दावेदारों में उनकी दावेदारी को नजरअंदाज करना आसान नहीं होगा.

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