हम सबका हर पल हर क्षण
हिंदी के साथ हो।
हिंदी हमारी मातृ भाषा उसके
हाथों में हाथ हो।।
प्रत्येक प्रयास हो हिंदी में ही
कार्य करने का।
हिंदी की बिंदी ही भारत माता
के माथ हो।।
निज भाषा से कार्य में ही राष्ट्र
उत्थान निहित है।
निज भाषा मान में ही देश का
गौरवगान निहित है।।
हिंदी राजभाषा मातृभाषा नहीं
राष्ट्रभाषा होनी चाहिये।
हिंदी के नित प्रयोग में ही राष्ट्र कल्याण निहित है।।
मातृभाषा कार्य करिये कि बहुत आसान है हिंदी।
कर्णप्रिय शांति दूत कि बहुत ही
सुजान है हिंदी।।
नित नए प्रतिमान स्थापित कर
रही है हिंदी हमारी।
ज्ञान काअथाह सागर भारत का
अभिज्ञान है हिंदी।।
हर ह्रदय में हर दिन बढ़ता हुआ
दिनमान है हिंदी।
हर सोच विचार अपनी भाषा में
पहचान है हिंदी।।
विश्व में हिंदी का परचम लहराये
बस चहुँ ओर।
जान लीजिए बहुत ही सम्मानित
महान है हिंदी।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली