जीवन के बाद भी जिन्दा रहता
आपका किरदार है।
एक ही मिली जिंदगी नहीं
रोज़ मरना यहाँ बार बार।
याद रखना कि कभी भी
मरता नहीं यहाँ क़िरदार।।
जियो यह जीवन मान
और स्वाभिमान के साथ।
चले गये बेनाम तो जीवन
बनता नहीं यहाँ यादगार।।
ये उम्र कम नहीं होती कुछ
नायाब कर दिखाने को।
इस दुनिया में अपनी कोई
नई पहचान बनाने को।।
ज्ञान, विनम्रता व्यक्ति का
एक अलग स्थान बनाती हैं।
एक जीवन का समय बहुत
दुनिया में सम्मान पाने को।।
वही सीढ़ी जो कि ऊपर
हमें ले कर जाती है।
वही सीढ़ी आदमी को
नीचे भी ले कर आती है।।
उतरने, चढ़ने में फर्क कुछ
और नहीं बस होता सोच का।
हमारे कर्म की सीढ़ी ही हमें
तय मंजिल तक पहुंचाती है।।
वही व्यक्ति होता सफल जो
जाने है महिमा कर्म की।
हर व्यक्ति हो जाये नतमस्तक
जो माने महिमा वाणी नर्म की।।
स्वआकलन करते रहें कि
दर्पण कभी झूठ बोलता नहीं।
वे पाता सम्मान यहाँ पर जो
समझे महिमा जीवन मर्म की।।
रचयिता एस के कपूर श्री हंस
बरेली।