दब गये मिट्टी में फिर भी बीज से उग आओ तुम। गिर गये फिर भी संभल कर उठ जाओ तुम।। बनो कोई ऐसी इक नायाब सी तस्वीर तुम। मिट जायो फिर वैसी तासीर जाकर लाओ तुम।।
आदमी खोकर भी जरूर कुछ सीखता है। व्यक्ति मुसीबत से होकर भी कुछ सीखता है।। अंधेरा नहीं ज्यादा रोशनी भी बनाती है अंधा। हार के बाद रोकर भी बहुत कुछ सीखता है।।
आज है जिंदगी और कल भी रहेगी ये जिंदगी। हर मुश्किल का हल भी करके रहेगी ये जिंदगी।। जिन्दगी गर सवाल तो जवाब भी है ये जिन्दगी। व्यक्ति की कठनाइयों का पल भी रहेगी ये जिंदगी।।
वही बनते ऊंचे जो प्रतिशोध नहीं परिवर्तन सोचते हैं। तोड़ते नहीं टूट कर फिर भी खुद को जोड़ते हैं।। रंगों को निखरने के लिए पड़ता है बिखरना। वही जीतते हैं जो जीवन को सही दिशा में मोड़ते हैं।। रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस बरेली।
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