एजेंसी,लखनऊ
अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुलाकात के कुछ दिनों बाद, सपा कार्यालय के सामने एक बड़ा बैनर चर्चा में आया है. बैनर में दावा किया गया है कि यूपी प्लस बिहार, गई मोदी सरकार. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी कार्यालय की चहारदीवारी पर काले रंग की पृष्ठभूमि वाले बैनर में नीतीश कुमार दिख रहे हैं जबकि अखिलेश यादव अपनी पार्टी से जुड़ी लाल टोपी पहने हुए हैं. इस बैनर पर हिंदी में लिखा है यूपी प्लस बिहार गयी मोदी सरकार. इस सप्ताह की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जनता दल यूनाइटेड के नेता कुमार और सपा सुप्रीमो यादव की गर्मजोशी से बैठक के बाद लगाये गये इस बैनर की राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा हो रही है. सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सपा और अन्य विपक्षी दलों ने बिहार में भाजपा का साथ छोड़कर राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ हाथ मिलकर सरकार बनाने के कुमार के कदम का स्वागत किया था लेकिन इस तरह के किसी भी पुनर्गठन के यहां आने का कोई संकेत फिलहाल नहीं दिख रहा है. उत्तर प्रदेश और बिहार में बड़ी संख्या में लोकसभा सीटें हैं. जहां उत्तर प्रदेश लोकसभा में अधिकतम 80 सांसद भेजता है, वहीं बिहार में 40 संसदीय क्षेत्र हैं. बैनर के बारे में विस्तार से बताते हुए उसे लगाने वाले सपा नेता आईपी सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश और बिहार में देश की राजनीति में बदलाव लाने का इतिहास रहा है. अगर ये राज्य (बदलाव का) फैसला करते हैं तो (दूसरों के लिए) कुछ नहीं बचेगा. यदि हम राजनीतिक मानचित्र देखें, तो भाजपा कहीं नहीं है. उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि समाजवादी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल और राष्ट्रीय लोक दल समाजवादी विचारधारा के ‘अग्रदूत’ हैं और नेताजी मुस्लिम सिंह यादव इन सभी के संरक्षक हैं.
सपा प्रवक्ता ने कहा कि यह समाजवादी थे जिन्होंने पहले तानाशाही को उखाड़ फेंका था और आने वाले दिनों में समाजवादी ही क्रांति के नायक होंगे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के साथ-साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी. राजा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राकांपा प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात की थी और और दावा किया था कि यह मुख्य मोर्चा होगा न कि तीसरा मोर्चा. इस बीच बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने शनिवार को ट्वीट किया कि सपा उत्तर प्रदेश में अपना जनाधार खोती जा रही है, जिसके लिए उसका अपना कृत्य ही मुख्य कारण है. परिवार, पार्टी एवं इनके गठबंधन में आपसी झगड़े, खींचतान तथा आपराधिक तत्वों से इनकी खुली सांठगांठ आदि की खबरें मीडिया में आमचर्चा में है तो फिर लोगों में निराशा क्यों न हो?
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी सपा पर तंज कसते हुए हुए कहा कि सत्ता के लिए बेचैन अखिलेश यादव की पार्टी सपा का लोकसभा चुनाव 2024 में खाता भी नहीं खुलेगा, उत्तर प्रदेश और देश में मोदी लहर पहले से तेज है. पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 62 सीटें जीती थीं जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने दो सीटें जीती थीं. बसपा ने 10 सीटें जीती थीं, सपा ने पांच सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस ने एक सीट जीती थी. भााजपा ने हाल के उपचुनावों में आजमगढ़ और रामपुर सीटों पर जीत हासिल की है, जिससे उसकी संख्या 64 और राजग की 66 हो गई है. बिहार में, राजग ने पिछले आम चुनाव में कुल 40 सीटों में से 39 पर जीत हासिल की थी. इसमें से बिहार में भाजपा के पास 17, जदयू के पास 16 और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के पास छह सीटें हैं. राजग से जदयू के चले जाने के बाद भाजपा के पास उसके 17 सांसदों के अलावा लोजपा भी है. बिहार में कांग्रेस की एक सीट है.