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प्रमोद पारवाला की कविताएं : ‘बदलते परिवेश’

भोर के उजाले में, पंछियों का कलरव है, आज पता चला है।। निर्मल लहरों के संग , नदियाँ भी गाती हैं, आज पता चला है। उजला-उजला सा गगन, लगे नील वितान है, आज पता चला है। श्रंग से पर्वत लगे, ज्यूं चूमने व्योम हैं, आज पता चला है। वृक्षों से श्वासों का , नाता अब […]

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पर्यावरण संरक्षण दिवस परेड विशेष: नदी ताल में कम हो रहा जल…

नदी ताल में कम हो रहा जल और हम पानी यूँ ही बहा रहे हैं। ग्लेशियर पिघल रहे और समुन्द्र तल यूँ ही बढ़ते ही जा रहे हैं।। काट कर सारे वन कंक्रीट के कई जंगल बसा दिये विकास ने। अनायस ही विनाश की ओर कदम दुनिया के चले ही जा रहे हैं ।। पॉलीथिन […]

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जीवन अनेक रंग, जीवन एक जंग…

पल पल रोज़ बदलती कुछ नया रंग है जिन्दगी। चुनौतियों का करो सामना यही ढंग है जिन्दगी।। जिन्दगी की जंग हार कर बैठना. ठीक नहीं होता। अगर खुद पर है विश्वास तो जीत के संग है जिन्दगी।। मानवता आदमी. को इक़ इंसान बना देती है। कोशिश हर मुश्किल को आसान बना देती है।। कर्म को […]

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स्मृति शेष: बहुमुखी प्रतिभा के धनी महामानव श्रीकांत जिचकर

देश में यों तो बहुत बड़े-बड़े विद्वान और शिक्षाशास्त्री हुए हैं। लेकिन श्रीकान्त जिचकर जैसा योग्य, प्रतिभाशाली मिलना बहुत मुश्किल है। जिचकर का नाम भारत के ‘सबसे योग्य व्यक्ति’ के रूप में लिम्का और गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है। आज भी वह सबसे शिक्षित भारतीय कहलाए जाते हैं. उनके पास 2 या 4 […]

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1 जून पुण्य तिथि पर विशेष : देशभक्ति, साहस और धैर्य की सजीव प्रतिमा थीं शहीद भगत सिंह की मां विद्यावती कौर

इतिहास इस बात का साक्षी है कि देश, धर्म और समाज की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वालों के मन पर ऐसे संस्कार उनकी माताओं ने ही डाले हैं। भारत के स्वाधीनता संग्राम में हंसते हुए फांसी चढ़ने वाले वीरों में भगतसिंह का नाम प्रमुख है। उस वीर की माता थीं श्रीमती विद्यावती कौर। […]

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31 मई जयंती पर विशेष : वीरता और त्याग की प्रतीक रानी अहिल्याबाई होल्कर

भारत में जिन महिलाओं का जीवन आदर्श, वीरता, त्याग तथा देशभक्ति के लिए सदा याद किया जाता है, उनमें रानी अहल्याबाई होल्कर का नाम प्रमुख है। उनका जन्म 31 मई, 1725 को ग्राम छौंदी (अहमदनगर, महाराष्ट्र) में एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता श्री मनकोजी राव शिन्दे परम शिवभक्त थे। अतः यही […]

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समाज,राष्ट्र का सजग सतर्क प्रहरी,पत्रकार…

कभी मीठा तो कभी चीत्कार लिखता है। कभी विपक्ष कभी सरकार लिखता है।। कलम का सिपाही रुकता नहीं कभी। हर बात वह तो बार बार लिखता है।। कभी आरपार कभी कारोबार लिखता है। कभी विसंगति और प्रचार लिखता है।। समाज राष्ट्र के हर बिंदु को छूती कलम। हर विषय की वह भरमार लिखता है।। कभी […]

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प्रमोद पारवाला की कविताएं : कलमवीर

जान हथेली पर रखकर भी, जो तिनका- तिनका बीनते हैं। सत्य के उजाले मे ही वे, झूठ का मुखौटा छीनते है। अपनी खबर नहीं है उनको, दुनिया की खबरें बुनते हैं। पाताल लोक मे भी जाकर, खबरों के मोती चुनते हैं। हम एक धुरी पर बैठे ही, दुनिया की सब खबरें पाते। अगर न होते […]

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30 मई पत्रकारिता दिवस पर विशेष : पत्रकारों के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं निर्भय सक्सेना

संजीव कुमार शर्मा गंभीर, बरेली वरिष्ठ पत्रकार निर्भय सक्सेना को बरेली ही नहीं बल्कि देश और प्रदेश की पत्रकारिता में कौन नहीं जानता होगा। बरेली के लोग शायद यह नहीं जानते होंगे कि नावल्टी चौराहे के पास सिंघल लाइब्रेरी के ठीक बराबर में छत पर जिस ‘यू. पी. जर्नलिस्ट एसोसिएशन’ के ‘उपजा प्रेस क्लब’ की […]

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30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस पर विशेष : राष्ट्रीय चेतना को जगाने के लिए शुरू हुआ हिंदी पत्रकारिता का सफर

हिन्दी पत्रकारिता की कहानी भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी है। हिन्दी पत्रकारिता के आदि उन्नायक जातीय चेतना, युगबोध और अपने दायित्व के प्रति पूर्ण सचेत थे। इसलिए विदेशी सरकार की दमन-नीति का उन्हें शिकार होना पड़ा था, उसके नृशंस व्यवहार की यातना झेलनी पड़ी थी। उन्नीसवीं शताब्दी में हिन्दी गद्य-निर्माण की चेष्टा और हिन्दी-प्रचार आन्दोलन अत्यन्त […]