शख़्सियत निशान छोड़ती है।
तहज़ीब खुद से बोलती है।।
एक ही जुबाँ पर जहर शक्कर।
कहते हैं झूठी जुबां झोलती है।।
जिसको कद्र नहीं नफ़ासत की।
अंगूठी हीरे की भी यूँ रोलती है।।
अजब गजब सा आ गया जमाना।
सच्चाई झूठ के आगे डोलती है।।
*हंस* इक़ राज़ की बात बताऊँ मैं।
जिन्दगी रोज़ नया पन्ना खोलती है।।
-एस के कपूर “श्री हंस”
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