देखना कि कोई ज़ख्म नासूर न बन जाये
बिना वजह कोई बात कसूर न बन जाये
लाज़िम कि बोलें हर बात सोच समझ के
कोई बात यूँ ही बेहूदा शहूर न बन जाये
दिल दुखाने का किसी को अख्तियार नहीं
चाहे कोई कितना भी क्यों मशहूर न बन जाये
धन दौलत यह सब तो आनी जानी माया है
रखना ध्यान कि अंदर तेरे गरूर न बन जाये
दिलों से दिलों की तुरपन हमेशा करते रहना
देखना कि तेरे सामने कोई मजबूर न बन जाये
बच्चों को भी हर बात खूब सिखाते रहना
अपने पैरों खड़े होने को भरपूर न बन जाये
दोस्ती हर दोस्त से निभायो कुछ इस हद तक
आपके दरमियाँ महोब्बत का सरूर न बन जाये
*हंस* कोशिश करते रहो हर दिन अच्छा बनने की
जब तक अंदर अच्छा इंसान जरूर न बन जाये
–एसके कपूर “श्री हंस”
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