किसी के अंधेरे में चिराग
बन कर देखिए।
किसी की आँखों का ख्वाब
बन कर देखिए।।
दर्द दूसरों का भी अपना
कर जरा देखो।
किसी हारते हुए का लगाव
बन कर देखिए।।
गिरते हुए को जरा संभाल
कर तुम देखो।
अपनी नज़र के जरा पार
भी तुम देखो।।
हाथ बढ़ाओगे तो आँसुयों
में मुस्कान मिलेगी।
किसी का दर्द लेकर जरा
उधार तुम देखो।।
दूसरों के गमों को जो माने
वो इंसान होता है।
तकलीफ में दे साथ तो वो
एहसान होता है।।
नेकी कर दरिया में डाल
ही है जरूरी।
जलाअपना हाथ जो बचाये
वो भगवान होता है।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस” बरेली