मिलकर धूल में भी हम
खड़े हो सकते हैं।
टूटकर फिर हम दुबारा
बड़े हो सकते हैं।।
गिर कर भी फिर वैसे ही
उठना आता हमको।
देख लेना फिर वैसे ही
आसमां चढ़े हो सकते हैं।।
परीक्षा यूँ ही बारम्बार
हम देकर आयेंगे।
खुशियां अपरम्पार हम
फिर जाकर लायेंगे।।
माना कि मुसीबत है और
समय है महामारी का।
लेकिन वैसा ही आकार
हम लाकर पायेंगे।।
हर परिस्थिति में हम
मुस्कराना जानते हैं।
हे प्रभु हम देना तेरा
शुकराना जानते हैं।।
हर मुश्किल को आसान
बनाना हैं हम जानते।
अपनी गलतियों का देना
हर्जाना हम जानते हैं।।
जमीन से आसमान तक
फिर भारत का नाम होगा।
कुछ ऐसा ही नायाब सा
हमारा काम होगा।।
हमें गर्व और गौरव है
अपनी क्षमता विरासत पर।
फिर विश्व गुरु की पहचान
वाला भारत महान होगा।।
-एस के कपूर “श्री हंस”
मो. 9897071046, 8218685464