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एसके कपूर की कविताएं : स्वागतम मेघराज…

बादल वर्षा मे निहित अन्न जल का राज है। इसी से धरा सिंचित और पैदा होता अनाज है।। यह फसल की उपज और नदी नाले सब कुछ। मेघराज तेरे लिये सब ही मोहताज़ है।। बारिश से ही जन जीवन रहता सुरक्षित है। फसल नष्ट यदि भू भाग जल वंचित है।। मेघराज तुम्हारा करते हैं हम […]

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11 अगस्त बलिदान दिवस पर विशेष : सबसे कम उम्र में फांसी पर झूल गए थे खुदीराम बोस

खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसम्बर सन् 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बाबू त्रैलोक्यनाथ बोस और उनकी मां का नाम लक्ष्मीप्रिय देवी था। बालक खुदीराम बोस के मन में देश को आजाद कराने की ऐसी लगन लगी कि वे कक्षा 9 के […]

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सावन का चल रहा महीना

सपने अब साकार हो रहे, जो थे कब से मन में पाले सावन का चल रहा महीना, देखो सबने झूले डाले। पत्थर पर जब घिसा हिना को, फिर हाथों पर उसे लगाया निखरी सुंदरता इससे तब, रंग यहाँ जीवन में छाया हरियाली तीजों पर मेला, किसके मन को यहाँ न भाया आयोजन हर साल हो […]

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जीती रहो ,जीतती रहो, भारत की बेटी हो तुम…

जीती रहो जीतती रहो देश की बेटी हो तुम। हर कांटा बीनती रहो देश की बेटी हो तुम।। तुम से ही आस तुम से ही भविष्य देश का। काम नया सीखती रहो देश की बेटी हो तुम।। तुम से सुशोभित है हर क्षेत्र देश का आज। तुम से निर्मित हो रहा हर कोई देश का […]

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पूर्वी लद्दाख में चीन ने अब पीछे खींचे अपने कदम

निर्भय सक्सेना  भारतीय सेना ने बयान में कहा- तनातनी के बाद भी एलएसी की यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं आया — निर्भय सक्सेना — अब नए भारत की सर्वत्र बढ़ती ताकत का अंदाजा चीन को भी होने लगा है। यही कारण है कि अपनी कुटिल चालबाजी से भारत को घेरने में अब उसकी कोई चाल […]

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भारत में त्यौहारी मौसम पर कहीं भारी न पड़े कोरोना के ‘डेल्टा वेरिएंट’ की दस्तक

निर्भय सक्सेना  देश में टीकाकरण का आंकड़ा 50 करोड़ के पार, कोविड नियम पालन और सावधानी जरूरी — निर्भय सक्सेना — भारत मे भी कोरोना के डेल्टा वेरियंट की दस्तक ने सरकार के साथ ही नागरिकों में भी इसको लेकर चिंता जताई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक के अनुसार भारत सहित 100 […]

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किसी के अंधेरे का जरा चिराग बन कर देखिए…

किसी के अंधेरे में चिराग बन कर देखिए। किसी की आँखों का ख्वाब बन कर देखिए।। दर्द दूसरों का भी अपना कर जरा देखो। किसी हारते हुए का लगाव बन कर देखिए।। गिरते हुए को जरा संभाल कर तुम देखो। अपनी नज़र के जरा पार भी तुम देखो।। हाथ बढ़ाओगे तो आँसुयों में मुस्कान मिलेगी। […]

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The depths of a well…

I was stuck in the depths of a dark, empty well With no-one to throw a rope All of that seemed like hell Because every brick was made of guilt and self-loath I requested people to excuse me When I could not adjust With that atmosphere Because I had no-one to trust I was surrounded […]

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कुएं से गहरे अंधेरों में खुद को पाती हूं मैं…

आशा की एक भी किरन जहाँ, न देख पाती हूँ मैं जानती हूँ लोगों की माफी भी निकाल न सकेगी मुझे , एक एक सीढी बनी है मेरे अपराध बोध से। अंधेरों से घिरी देखती हूँ अपने अंत को करीब से, सोचती हूँ नहीं जीत सकती मैं अपने नसीब से। पर नहीं गलत हूँ मैं, […]

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सेवानिवृत्ति दूसरी पारी की शुरुआत है…

अभी भी छूने को ऊपर ऊंचा आसमान है। एक वरिष्ठ नागरिक का अनुभव महान है।। सेवानिवृत्ति तो अंत नहीं है इस जीवन का। इसके बाद भी बहुत काम पहचान सम्मान है।। हर वरिष्ठ नागरिक अनुभव की खान होता है। अपने में ज्ञान समेटे एक वरदान होता है।। समाज का होता है वह एक पथ प्रदर्शक। […]